For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुरुष और प्रकृति

जब उठाया घूंघट तुमने,

दिखाया मुखड़ा अपना

चाँद भी भरमाया

जब बिखरी तुम्हारे रूप की छटा

चाँदनी भी शरमायी

तुम्हारी चितवन पर

आवारा बादल ने सीटी बजाई ।

तुमने ली अगंड़ाई, अम्बर की बन आई

तुमसे मिलन की चाह में फैला दी बाहें,

क्षितिज तक उसने

भर लिया अंक में तुम्हें, प्रकृति, उसने

तुम्हारे गदराये बदन, मदमाते यौवन पर,

भँवरे की तरह

फिदा होकर, तुम्हारे रसीले होठों से

रसपान किया उसने ।

नारी ने तुमसे ही सीखा श्रृंगार, प्रकृति

पुरुष ने सीखी मनुहार

एक रिश्ता कायम हुआ फिर

‘समर्पण’ का

पुरुष की कठोरता और

नारी की मधुरता का

पुरुष की मनुहार और

नारी की लज्जा का

पुरुष और प्रकृति एकाकार हुए ।

  • मोहिनी चोरडिया

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on February 16, 2012 at 4:29pm

sunadr rachna 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 9, 2012 at 11:20am

ek rishta kayam hua ...bahut sundar bhaavon ko kavita ke sootra me piroya hai.

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 9, 2012 at 10:45am

IT'S OUR PLEASURE JI

Comment by mohinichordia on February 9, 2012 at 10:07am

 उत्साह बढाने के लिये आप सबका आभार , दीपक जी राज जी ,अविनाश बागडे जी ,राज बुन्देला जी ,नजील भाई आशुतोष जी आ. .बागी जी  \

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 8, 2012 at 12:12pm
सत्यता से ओत प्रोत सुन्दर रचना
दीपक 'कुल्लुवी'
Comment by राज लाली बटाला on February 7, 2012 at 10:03pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई  मोहिनी चोरडिया जी!

Comment by AVINASH S BAGDE on February 7, 2012 at 8:36pm

एक रिश्ता कायम हुआ फिर

‘समर्पण’ का

पुरुष की कठोरता और

नारी की मधुरता का

पुरुष की मनुहार और

नारी की लज्जा का

पुरुष और प्रकृति एकाकार हुए ।...SUNDER Mohini ji.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2012 at 6:08pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Nazeel on February 7, 2012 at 5:26pm

मेरे पास शब्द ही नहीं है आदरणीया  मोहिनी जी  कि मै आपकी रचना के बारे मै कुछ कह सकूं .....उत्तम  रचना  के लिए  हार्दिक बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 7, 2012 at 4:29pm

पुरुष और प्रकृति का अनुपम संगम, बहुत ही सुन्दर रचना, अभिव्यक्ति की इस खुबसूरत प्रस्तुति पर अनेको बधाई आपको, 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह हर ग़ज़ल पर बेहतरीन हुई है काबिल ए गौर है ग़ज़ल…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय निलेश सर 4rth शेर बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी सर बधाई स्वीकारें सुधार के बाद शेर और निखर गए हैं"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सुधार- उम्रें न सही लम्हे बिताने के लिए आ ग़र इश्क़ है तो साथ निभाने के लिए आ/१ दिल भूल गया है सभी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात इन्हीं शब्दों…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह शानदार…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  मतला और गिरह ख़ूब…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service