For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लुत्फ़-ए-बुढ़ापा

लुत्फ़-ए-बुढ़ापा 


एक कतरा दर्द-ए-दिल का उनके ही काम आया

जब मिला न कोई हमदर्द तो यही काम आया  
हम तो 'दीपक' की मानिंद जले जलते गए
मेरा रोना भी उन्हें शायद न यूँ रास आया
हम लिखें कितना लिखें कुछ भी नहीं होता है 
मेरी हालत पे उन्हें इक पल न तरस आया 
मौत आई न हमें जिंदा रहे साँस बिना
ज़िंदगी नें इस तरह से हमें यूँ ठुकराया 
अब तो मुरझा गए चेहरे होंठ सूख गए
दूर रहकर हमसे देखो तुमने भी क्या पाया 
अब भी आ जाओ मेरे पहलू में हम बुलाते हैं
फिर न कहना की बुढ़ापे का लुत्फ़ ठुकराया  

दीपक कुल्लुवी 
28 मार्च 2012 .
9350078399
एक ग़ज़ल जैसी लगती मेरी यह रचना आपको व्यंगात्मक अंत का दर्शन करवाएगी I

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 29, 2012 at 2:10pm

DHANYABA HARISH JI

Comment by Harish Bhatt on March 29, 2012 at 1:35pm

आदरणीय दीपक सादर प्रणाम, शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 29, 2012 at 12:44pm

DR. SAHIB

AAP KAH RAHE HO SUNDAR RACHNA...IKLOTI BIBI KAL NARAZ HO GAYI YAH  PADKAR.....

DHANYABAD

Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on March 29, 2012 at 12:35pm

सुंदर  रचना ..बधाई 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 29, 2012 at 10:22am

shukriya rajesh kumari ji v pradeep ji


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 29, 2012 at 8:06am

bahut sundar rachna really antim pankti ne to kahani hi badal di.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 28, 2012 at 8:02pm

अब भी आ जाओ मेरे पहलू में हम बुलाते हैं

फिर न कहना की बुढ़ापे का लुत्फ़ ठुकराया  
tarah tarah se ham unko pass bulate hain
aur vo hain ki budhape main bhi navyovna ki tarah ithlate hain
bahut khoob kaha deepak sir ji. aapne. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
16 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
2 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service