For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी ......

बात उनसे कभी हो गयी
ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी

दिल्लगी आशिकी हो गयी
आशिकी बंदगी हो गयी

वो तसव्वुर में क्या आ गए
क़ल्ब में रौशनी हो गयी

जब कभी उनसे नज़रें मिली
अपनी तो मैकशी हो गयी

बात फिर से जो होनी न थी
बात फिर से वो ही हो गयी

जब कभी वो खफा हो गए
ख़त्म सारी ख़ुशी हो गयी

बादलो क जब आंसू गिरे
कुल जहाँ में नमी हो गयी

सैकड़ो घोंसले गिर गए
क्यों हवा सरफिरी हो गयी

ध्यान उनका जब आया 'हिलाल '
गुफ्तगू शायरी हो गयी

Views: 327

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hilal Badayuni on September 27, 2010 at 8:10pm
aap sabhi jo muhabbato se nawaazte hai sabhi ka bahut bahut shukiya
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on September 23, 2010 at 9:24pm
बात उनसे कभी हो गयी
ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी

दिल्लगी आशिकी हो गयी
आशिकी बंदगी हो गयी

भाई हिलाल जी....क्या टिपण्णी किया जाये कुछ समझ में नहीं आ रहा है.....कुछ टिपण्णी लिखने लायक आपने छोड़ा ही नहीं है...सब तो आपने ही लिख डाला है....प्यार से भरपूर इस ग़ज़ल के लिए बस इतना ही कहूँगा की बहुत ही बढ़िया लिखा है है आपने.....शुभकामना है आपको.....
ऐसेही लिखते रहे....
Comment by rajni chhabra on September 23, 2010 at 1:08am
pyar se sarobar gazal ke liye badhai sweekaren
Comment by Subodh kumar on September 22, 2010 at 4:56pm
bahut khub...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2010 at 10:44pm
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही है हिलाल भाई, ख्यालात भी काफी अच्छे है, हुस्ने मतला का प्रयोग अच्छा लगा, सब मिलाकर एक शानदार ग़ज़ल कह गये आप, बधाई स्वीकार करे, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service