For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्नी:-
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरही में रहेलs लजात नईखs काहे,

तीज के त्यौहार बा नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,

सास ससुर जी हमके ताना मारेले,
निठलुआ के मेहsर ननदी कहेले,
जहर बोले देवरा रोकत नईख काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,


पति:-
मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,


पत्नी:-
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरही में रहेलs लजात नईखs काहे,


पति:-
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,

************************************

हमार पिछुलका पोस्ट => बाबूजी सिखवले ( भोजपुरी गीत )

Views: 2341

Replies to This Discussion

बहुत बहुत धन्यवाद नविन भईया, भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने गीत को समझा और अपना बहुमूल्य टिप्पणी दिया, मेरा गीत लिखना सार्थक हो गया,
गणेश जी,
क्षमा चाहता हूँ कि हमें भोजपुरी नहीं आती. बल्कि गीत का मतलब तो समझ गए थोडाबहुत...

तीज के त्यौहार नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
---मस्त है

सास ससुर जी हमके ताना मारेले,
निठलुआ के मेहsर ननदी कहेले,
जहर बोले देवरा रोकत नईख काहे,
और
मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,

---- बेटी अपनी ससुराल क़ी हकीकत बखूबी बयान कर रही है....
गीत बहुत अच्छा लगा... विषय और भावनाएं
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अरविन्द चौधरी जी, भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने गीत को समझने का प्रयास किये बहुत ही सराहनीय है, यह गीत एक बेरोजगार पति और उसकी नव विवाहिता पत्नी के मध्य संवाद है |
sir ji sabd naikhe i raur geet bada badhia banal ba hamara kam layak samjhi ki ye taip ke gana ke jarurat paral ta pahila pasand,
गुरु जी इ त रौवा सब के प्रेरणा के असर बा जवन हम कुछ लिख लेनी, वैसे इ गीत के जरूरत पर और विस्तार देवल जा सकत बा, गीत पसंद करे खातिर धन्यवाद,
अरे वाह रे गणेश भैया रौआ त कमाल कर देनी !आ धोती के फाड़ के रुमाल कर देनी !!
आज हमणि के छेत्र मे लगभग हर घर मे ई बात कहे वाला या गावे वाला औरत मिल जाइहे !एक तरफ ई रऔर ई कविता बॉल विवाह के कोष रहल बा वही दूसरी तरफ समाज के तंग मानसिकता के जे कम उम्र मे ही आपन बेटा के विवाह बाबूजी लोग कर देत बडन जा .
रत्नेश भाई अगर साच पूछी त इ गीत काल्पनिक नइखे बल्कि आखों देखल सत्य घटना पर आधारित बा, गीत पसंद करे खातिर धन्यवाद,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरे में रहेलs लजात नईखs काहे,

तीज के त्यौहार नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,

गणेश जी, राउर कविता पढ़ के मुँह से अपने मने "वाह" निकलता । एगो बेरोजगार के नवोढ़ा के मन के कइसन उद्गार हो सकेला एकर बखूबी वर्णन कइले बानी - संक्षिप्त बाकिर सटीक । "वाह !"
बहुत बहुत आभार नीलम दीदी, रौआ इ गीत के आशीर्वाद देहनी ह, कमोबेस आज भी गाँव घर मे इ सब देखे के मिल जात बा, एह रचना के पीछे भी एगो ऐसने घटना छुपल बा,
आदरणीय गणेश जी ,
प्रणाम आपका भोजपुरी गीत फाँस मे साँस पड़ल एक ऐसे नवयुवक का चित्रण कर रहा है , जो अभी अध्ययन कर रहा है | तथा जिसकी कम उम्र में शादी हो गयी इस गीत के माध्यम से आपने यह बताया है की कम उम्र में शादी करने का क्या परिणाम होता है | तथा समाज की कुछ तुछ मानसिकता वाले लोग अपने बेटे की शादी कम उम्र में कर देते है , जो की ठीक नही है | आपका यह गीत उन लोगो के लिए है , जो की मानसिक दृष्टी से सोये हुए है | आपका यह गीत जागरण गीत है | आपका यह गीत मुझे बहुत बढिया लगा | गीत की कुछ पक्तिया बहुत अच्छी लगी - मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे, आपको बढिया गीत लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करे |
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया पूजा सिंह जी,जब इस तरह की उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ रचना पर प्राप्त होती हैं तो और भी लिखने की प्रेरणा मिलती है, आप तो खुद अच्छी लेखिका है, पुनः धन्यवाद आपका ,
Bahut Khub ,abhibhut kaini,
Humni ke samaj ke vastawik chitran aap aapan gana ke madhyam se kaile bani | E abhi bhi humni ke samaj me ho rahal ba joun ki sara sar galat ba | Raur gana ke har line me SAMAJ khatir sandesh ba.
Dhanyabad,
Bijay Pathak

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service