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"मौलिक संतान"

कोख
माँ की कोख
प्यारी न्यारी
जीव का प्रारंभ
उसकी जन्नत
माँ की कोख
सबसे खूबसूरत
कोई शै नहीं
इस सारे जहाँ में
जो उससे खूबसूरत हो
नवांगतुक का सारा संसार है
माँ की कोख
और माँ
माँ अनंत है
माँ चेतना है उस अजन्मे जीव की
अदभुत है
आलोकिक है
प्रतिलिपि है
कृति है
अनुपम कृति
और शिशु के लिए माँ
माँ है उसकी आत्मा
माँ के बिना
हर जीव पत्थर है
सिर्फ पत्थर
कितना अभागा होता है वो जीव
जिसकी माँ नहीं
और वो
जिसने माँ में अपनी
आत्मा न टटोली हो
जिसे माँ के स्पर्श से चेतना न मिलती हो
जो पीड़ा में माँ न पुकारता हो
जिसे माँ का आशीर्वाद  न मिला हो
जिसे माँ की वो प्यारी सी झिडकी न मिले
वो नीरस ही होगा
हाँ वो नीरस ही होगा
सदैव खार सा चुभता
क्यूंकि उसे पता ही नहीं
पुष्प की वो नजाकत
जिसके स्पर्श से दिल में पुष्प खिल जाएँ
प्रेम के
दिव्य पुष्प प्रेम के
माँ तो माँ होती है
भगवान् से बढ़कर यदि कोई है
वो दर जहाँ
भगवान् भी झुकते हैं
वो माँ ही है
और कितने पापी होंगे वो
जो कोख में ही उजाड़ देते हैं
गर्भ में पल रहे शिशु का स्वर्ग
वो जो छीन लेते हैं
नारी से माँ बनने का अधिकार
वो जो वंचित कर देते हैं
इक जीव को जीवन जीने से
सच कोख में ही मार देते हैं
इक जीव को
ये सब ऐसा है
जैसे छीन लिया गया हो
एक कवी से कविता लिखने का अधिकार
लेखक से लेख लिखने की आज़ादी
और किया गया हो
क्रांतिकारी को कैद
काली पानी में
घोंट दिया गया हो
नारी की अस्मत लूट कर गला
काट दिए हों हाँथ किसी कलाकार के
जैसे लगाईं गयी हो पाबंदी
अभिव्यक्ति पर
वो अभिव्यक्ति जो है
उस कलाकार की
"मौलिक संतान"
गोद ली होती तो शायद
जीवित होती अभिव्यक्ति
मेरी अभिव्यक्ति
बुरी है
बुरी है ये सोनोग्राफी

संदीप पटेल "दीप"

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Comment by Rekha Joshi on September 10, 2012 at 9:12pm

और शिशु के लिए माँ 
माँ है उसकी आत्मा 
माँ के बिना 
हर जीव पत्थर है 
सिर्फ पत्थर 
कितना अभागा होता है वो जीव 
जिसकी माँ नहीं ,माँ ईश्वर का दूसरा रूप है ,अति सुंदर रचना ,संदीप जी 

Comment by Bhawesh Rajpal on September 10, 2012 at 3:03pm

   माँ तो माँ होती है
भगवान् से बढ़कर यदि कोई है
वो दर जहाँ
भगवान् भी झुकते हैं
वो माँ ही है  

बहुत सुन्दर !  संदीप जी  बहुत-बहुत बधाई ! 

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