संदली नाजुक बदन या बोलती तस्वीर है
आयतें खामोशियाँ हैं शर्म ये तफ़सीर है
सर्द हैं जुल्फों के साए सोज साँसों में भरी
कातिलाना है अदा या ख्वाब की ताबीर है
ये गजाली चश्म तेरे श्याह गहरी झील से
औ तबस्सुम होंठ पे जैसे कोई शमशीर है
हैं शहद अल्फाज उर्दू की रवानी भी निहाँ
है ग़ज़ल ताज़ा कही तू या लिखी तहरीर है
आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है
मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है
"दीप" इन हर्फों में कैसे हो बयाँ जो है खुदा
नूर उनका क्या लिखूंगा ये तो बस तसगीर है
संदीप पटेल "दीप"
Comment
इक सुंदर ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई संदीप जी
मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है
सुभान अल्लाह ....... बेहतरीन ..... बहुत खूब .... दाद कुबूल फरमाएं संदीप जी
यह प्रयास भी सम्पूर्णता को प्राप्त हुआ
आपका लगातार प्रयासरत रहना ही एक दिन आपको ग़ज़ल के विराट पर्वत में तल से शीर्ष पर ले जायेगा
हार्दिक आभार एवं बधाई
अशुद्ध वर्तनी से मज़ा किरकिरा होता है
ज़रा ध्यान दें
आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है
मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है
वाह वाह संदीप ....मान गये उस्ताद ..आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है..क्या कहने है
आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है,बहुत खूब संदीप जी ,बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online