शाम जन्नत हुई सहर जन्नत
आप आये हुआ ये घर जन्नत
जो पड़े हैं कदम तुम्हारे यूँ
हो गया है मेरा शहर जन्नत
राह मुश्किल भरी रही लेकिन
आपके साथ था सफ़र जन्नत
ख्वाब क्या और क्या हकीकत में
नूर देखा हुई नज़र जन्नत
'दीप' वीरां लगा जहाँ तुझ बिन
इश्क की याद थी मगर जन्नत
संदीप पटेल "दीप"
Comment
राह मुश्किल भरी रही लेकिन
आपके साथ था सफ़र जन्नत
वाह! बहुत सुन्दर. बधाई स्वीकारें.
आदरणीया महिमा जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपसे बधाई मिली
ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार आपका
शाम जन्नत हुई सहर जन्नत
आप आये हुआ ये घर जन्नत
जो पड़े हैं कदम तुम्हारे यूँ
हो गया है मेरा शहर जन्नत
बहुत खूब संदीप जी .. बधाई आपको
शुभेच्छा, भाई संदीपजी.
आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आप बड़ों का आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहे बस
आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ जाता है
प्रयास करते करते एक दिन कहन में भी सुधार आ जायेगा
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सहित सादर आभार
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये
बेहतर प्रयास हुआ है, संदीपजी. ऐसे प्रयासों में कहन पर भी बल दिया जाय.
आदरणीय अजीतेन्दु जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी दाद मिली लिखना सार्थक हो गया
सादर आभार आपका
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर
आदरणीय भाई संदीप जी
आपसे सदैव इसी तरह सहयोग की अभिलाषा रहती है
अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हम क्या करें थोडा अपनी आदतों से लाचार हैं
उनमे से इक ये भी है "जल्दबाजी"
मैं जानता हूँ ग़ज़ल और छंद इनमे इसकी जगह नहीं है लेकिन समयाभाव
और मन दोनों के चलते विवश हूँ
क्षमा करें अगली बार यही कोशिश होगी की ऐसी गलतियां न हों
स्नेह बनाये रखिये सादर आभार आपका
आदरणीय भाई विन्धेय्श्वरी जी सादर
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपने जो दिल खोल के तारीफ की
उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
स्नेह यूँ ही भाई पर बनाये रखिये
आदरणीया सीमा जी सादर प्रणाम
आप सभी के स्नेह से ही ऐसा संभव हो पाया है
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार
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