शिशु गीत सलिला : 3
संजीव 'सलिल'
*
21. नाना
मम्मी के पापा नाना,
खूब लुटाते हम पर प्यार।
जब भी वे घर आते हैं-
हम भी करते बहुत दुलार।।
खूब खिलौने लाते हैं,
मेरा मन बहलाते हैं।
नाना बाँहों में लेकर-
झूला मुझे झुलाते हैं।।
*
22. नानी -1
कहतीं रोज कहानी हैं,
माँ की माँ ही नानी हैं।
हर मुश्किल हल कर लेतीं-
सचमुच बहुत सयानी हैं।।
*
23. नानी-2
नानी जी के गोरे बाल,
धीमी-धीमी उनकी चाल।
दाँत ले गए क्या चूहे-
झुर्रीवाली क्यों है खाल?
चश्मा रखतीं नाक पर,
देखें उससे झाँक कर।
कैसे बुन लेतीं स्वेटर?
लम्बा-छोटा आँककर।।
*
24. चाचा
चाचा पापा के भाई,
हमको लगते हैं अच्छे।
रहें बड़ों सँग, लगें बड़े-
बच्चों में लगते बच्चे।।
चाचा बच्चों संग खेलें,
सबके सौ नखरे झेलें।
जो बच्चा थक जाता -
झट से गोदी में ले लें।।
*
25. बुआ
प्यारी लगतीं मुझे बुआ,
मुझे न कुछ हो- करें दुआ।
पराई बहिना पापा की-
पाला घर में हरा सुआ।।
चना-मिर्च उसको देतीं
मुझे खिलातीं मालपुआ।
*
26.मामा
मामा मुझको मन भाते,
माँ से राखी बँधवाते।
मुझे कार में बिठलाते-
सैर दूर तक करवाते।।
*
27. मौसी
मौसी माँ जैसी लगती,
मुझको गोद उठा हँसती।
ढोलक खूब बजाती है,
केसर-खीर खिलाती है।
*
28. दोस्त
मुझसे मिलने आये दोस्त,
आकर गले लगाये दोस्त।
खेल खेलते हम जी भर-
मेरे मन को भाये दोस्त।।
*
29. सुबह
सुबह हुई अँधियारा भागा,
हुआ उजाला भाई।
'उठो, न सो' गोदी ले माँ ने
निंदिया दूर भगाई।।
गाय रंभाई, चिड़िया चहकी,
हवा बही सुखदाई।
धूप गुनगुनी हँसकर बोली:
मुँह धो आओ भाई।।
*
30. सूरज
आसमान में आया सूरज,
सबके मन को भाया सूरज।
लाल-लाल आकाश हो गया-
देख सुबह मुस्काया सूरज।।
डरकर भाग गयी है ठंडी
आँख दिखा गरमाया सूरज।
रात-अँधेरे से डर लगता
घर जाकर सुस्ताया सूरज।।
*
Tags:
आदरणीय संजीव वर्मा जी,
बच्चों के दिल को भाने वाली छोटी छोटी पंक्तिया, उनके मनपसंद रिश्ते, बेहद सुन्दर गेयता... इसका प्रिंट निकाल कर अपने बेटे को सारी याद करवाने का दिल है, जहां एक और बच्चे रिश्तों के माधुर्य को आत्मसात करेंगे वहीं नाना नानी, मामा, बुआ, मौसी सब खुश हो जायेंगे बच्चे से अपने स्नेहिल गुणगान सुनकर.
हार्दिक आभार इस प्रस्तुति के लिए.
आदरणीय आचार्यजी, आपकी संवेदनशील दृष्टि ने आजकी सामाजिक विवशता को बखूबी समझा और इसी की परिणति यह शिशु-गीत है. शिशुओं केलिये रिश्ते ही अर्थहीन से हो गये हैं. यही कल के वयस्क होंगे. आज सामाजिकता में माधुर्य और परस्पर विश्वास यदि कम होता जा रहा है तो इसका सबसे बड़ा कारण नींव में संस्कार का लेपन भयावह रूप से कम होता गया है.
आपके सार्थक प्रयास को सादर बधाई तथा इस शिशु-गीत के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ.
प्राची जी!
नमन.
इन गीतों के रचना का मूल उद्देश्य नन्हें-मुन्नों को उन रिश्तों और उनकी मिठास से परिचित करना है जिन पर अंगरेजी के अंकल-आंटी ने धूल डाल दी है. जो रिश्ते छूट रहे हों उनकी और ध्यान आकृष्ट कराएँ तो उन पर भी शिशु गीत रचूँ. शिशुओं की दृष्टि से कठिन शब्द इंगित किये जाने पर उन्हें बदल कर सरल करना होगा.
सौरभ जी!
वन्दे मातरम।
शिशुओं के चारों ओर की दुनिया उन्हीं की नज़र और नज़रिए से देखने के इस प्रयास को आपका प्रोत्साहन मिला धन्यवाद।
बहुत ही पावन उद्देश्य के साथ रह काव्य रचना कर रहे हैं आप आदरणीय.
यदि निम्न विषयों पर भी लिखा जाए तो बच्चों के लिए उपयोगी होगा:
१. जंक फ़ूड (चिप्स कुरकुरे कोल्ड ड्रिंक)की जगह हैल्दी फ़ूड खाएं
२. बच्चे जैसी कार्टून फ़िल्में देखते हैं , उनको सच मान कर वैसा ही दोहराने की कोशिश करते हैं ...जो बहुत घातक हो सकता है. अभी हमारे पास के एक ६ वर्षीय बच्चे नें छोटा भीम की देखा देखी एक पिल्लै को पूंछ से पकड़ कर गोल गोल घुमा दिया.
या कृष फ़िल्म देखी और उड़ने की कोशिश करने लगा.
३. बच्चे सड़क पर कचरा न फेंके, इस विषय पर भी उनके कोमल मन में ही संस्कार के बीज रोपे जा सकें कविता के माध्यम से.
शायद आप सहमत हों.
सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |