For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रबंधन समिति,

एक सुझाव है कि प्रतिदिन ब्लोग पोस्ट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रति सदस्य एक दिन में ब्लॉग द्वारा रचना पोस्ट करने की संख्या निर्धारित कर दी जानी चाहिए
क्योकि एक दिन में एक सदस्य द्वारा ४- ५ पोस्ट करने पर स्तरीयता कम होने का खतरा बना रहता है साथ ही पाठकों के लिए भी सभी पोस्ट पर समुचित समय दे पाना मुश्किल होता होगा
इस सन्दर्भ में एक सदस्य द्वारा एक दिन में अधिकतम एक रचना पोस्ट करने की ही अनुमति सर्वथा उचित प्रतीत होती है

सादर



Views: 1511

Replies to This Discussion

भाई वीनस केसरी जी मैं आपके सुझावों को बेहद संजीदगी से लेता हूँ । आज ओबीओ  पर ग़ज़ल और मुशायरे का स्तर अगर ऊंचा हुआ है तो उसमे आपका बहुत बड़ा योगदान है जिसके लिए मैं हृदय से आभारी भी हूँ। बहरहाल मेरे सभी सुधि साथियों ने बहुत बढ़िया बातें की और सुन्दर सुझाव दिए। मैं स्वयं रचनायों की इस बाढ़ से जहाँ एक तरफ बतौर प्रधान सम्पादक बेहद प्रसन्न हूँ, वहीँ दूसरी तरफ गुणवत्ता को लेकर बेहद चिंतित भी हूँ। नए लिखने वालों के उत्साह के आगे बहुत बार समझौता भी करना पड़ता है।  आखिर हमारा उद्देश्य ’सीखना-सिखाना’ ही तो है। ऐसे मैं हमें अपरिक्व रचनायों से भी दो-चार होना पड़ेगा। दिन में जितनी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं तकरीबन उतनी ही अस्वीकृत भी की जाती हैं। भाषा या वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ सुधार कर भी बहुत सारी रचनायों को स्थान दिया जाता है, केवल इसी उम्मीद में कि इन नए रचनाकारों ही में से कुछ अनमोल मोती यह मंच रचना संसार को अवश्य दे पायेगा। 
 
मानक तय किये जाने चाहियें, मानक तय हुए भी हैं, मानक तय होंगे भी। लेकिन मानकों की परिभाषा समय के साथ बदलती भी तो है। समय आने पर "दिन में एक रचना" क्या शायद हम लोग "एक हफ्ते में एक रचना" का ही प्रावधान कर दें। (तरही मुशायरे का उदहारण हम सभी के सामने है) मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि आपके सुझावों पर बेहद संजीदगी से विचार होगा, तथा मंच के हित में सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश जारी रहेगी। 

मैं आदरणीय योगराज सर से सत प्रतिशत सहमत हूँ, वीनस भाई आपकी बातों में सत्यता है परन्तु जो आभास मुझे होता है वो ये है कि अभी इतनी भी रचनायें नहीं होती है, कि पढ़ी न जा सकें. अगर हम यहाँ आने वाले नए सदस्यों का उत्साह वर्धन नहीं करेंगे तो शायद उनका मनोबल टूट जायेगा और वो लोग यहाँ आने से कतरायेंगे. मैं अपना खुद का उदाहरण देता हूँ, कुछ महीनो पहले मैंने ओ बी ओ ज्वाइन किया, और शुरू-2 में मैं रोज 7-8 रचनायें पोस्ट कर देता था, उनमें कुछ रचनायें शामिल की जाती थीं और कुछ नहीं. जैसे-2 मुझे मार्ग दर्शन मिला मेरी रचनाओं में कमियां आईं हैं, इसकी वजह सिर्फ ये है अब पहले की तरह लेखन नहीं रहा कुछ सुधार हो रहा है. मैं आपके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए ग़ज़ल सीख रहा हूँ. आदरणीया प्राची दीदी से हौंसला पाकर और भ्राताश्री अम्बरीश जी द्वारा दिए गए निर्देशों से दोहों का प्रयास कर रहा हूँ. अगर मुझे यहाँ सहयोग नहीं मिलता तो शायद मैं भी यहाँ नहीं होता और निर्दोष पूर्ण लेखन के अंधेरों में कहीं भटक रहा होता. आशा करता हूँ कि आप सभी सहमत होंगे अगर कोई कटु शब्द या कुछ भी बुरा कह दिया हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ.
सादर
अरुन शर्मा

भाई अरुन अनन्त, आप जैसे सदस्यों का सक्रिय होना मंच की शोभा है. यह एक अनवरत प्रक्रिया है. चिंता यह नहीं कि कौन क्या कहता-सीखता है बल्कि कैसे सीखता है. इस सीखने में सबसे बड़ा पहलू गंभीरता का है.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ देना भी इसी स्वाध्याय और सीखने का अभिन्न हिस्सा है. टिप्पणियों से ही इसका पता चलता है कि किसी पाठक ने किसी रचना को कितना हृदयंगम किया है. उसी तरह, आत्ममुग्धता से बचना भी उतना ही जरूरी है.

अपनी उपरोक्त टिप्पणी को एकबार फिर पढिये और बताइये कि क्या आपकी कुछ पंक्तियाँ जो आप कहना चाहते हैं, वही कह रही हैं और लोग वही पढ़ पा रहे हैं ?

शुभेच्छाएँ.. .

:)))))))))))))))))))))))))))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service