For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(फाँसी से कम नहीं )

(फाँसी  से कम नहीं )



इन्हें फाँसी  पर लटका दो 
या गोलियों से मरवा दो 
बलात्कारियों की रूह काँप जाए 
इन्हें ऐसी कड़ी सजा दो 
इन दरिंदों को जिंदा न छोड़ो 
पहले इनके हाथ पाँव तोड़ो 
जिंदा सूली पर लटका दो 
लाश चील कव्वों को खिला दो 
इनके घिनोने जुर्म की 
और सज़ा  न कोई 
शर्मसार है भारत माँ 
माएँ फूट फूट कर रोई
हद कर दी हैवानियत की 
जली होली  इंसानियत की
कड़े कर दो कानून नियम 
जलाओ चिता शैतानियत की 
दिल में दर्द है आँखे नम 
चारों तरफ है ग़म ही ग़म 
दुआ को उठ रहे हाथ करोड़ों 
वेशर्मों को न कोई शर्म 
खुश हो रस्सी खेंचूँगा मैं 
इक पैसा तक न लूँगा मैं 
मुफ्त में अपनी सेवा दूँगा 
जल्लाद बनने को हूँ तेय्यार 

दीपक 'कुल्लुवी'
18-12-12
खबर :- दिल्ली में पाँच बदमाशों नें लड़की से गैंगरेप किया लड़की सीरियस I   

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on December 22, 2012 at 4:01pm

 शुक्रिया सौरभ जी राजेश कुमारी जी अरुन भाई जो आप साथ हो 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2012 at 11:36am

दीपक सर बिलकुल सत्य है यह आक्रोश तो एक न एक दिन होना ही था, आखिर कब तक हम सब यूँ मौन रहकर टकटकी निगाहों से यूँ ही देखते रहेंगे बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 21, 2012 at 12:44am

आपके आक्रोश को मिले शब्द से हम सभी इत्तफ़ाक़ रखते हैं, दीपकजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2012 at 12:48pm

आदरनीय दीपक कुल्लुवी जी ये  आक्रोश की ज्वाला हर किसी के हृदय में धधक रही है ये तभी शांत होगी जब उन दरिनों को फांसी पर लटकाया जाएगा आपके विचारों को नमन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service