For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(मौलिक व अप्रकाशित रचना)

दिनकर रश्मियाँ मार्ग खोजती
चली शनैः शनैः वसुन्धरा पथ
तिमिर अकङता जकङे रहता
जोर लगाता वसुन्धरा ललाट
आलोक को विलोक तिमिर
विस्मृत करता स्वबल शक्ति
दिनकर रश्मियाँ पहुँच वसुन्धरा
मानव मानस भाव उपजाती
रमणी वसुन्धरा श्रृंगारित होती
केश मोगरा पुष्पदल सजाती
केसर मिश्रित टीका लगाती
कर्ण हरसिंगार फूल पहनती
मस्तक ओढे धानी चुनरिया
सप्तरंगी पुष्पमाल उर सुशोभित
कलाई गुलाबी कंगना डारे
हस्त गेंदा पहरे हथफूल
कमलदल करधनी कमर कसी
तन केसरिया वसन जो पहना
दिनकर रश्मियाँ आकर्षित सी
खिंची जाती वसुन्धर ओर
द्वारे खङी वसुन्धरा रमणी
स्वागत करने दिनकरी रश्मियों का
वसुन्धरा सुत सुता हर्षित
कोयल गाये नवमंगल गीत
मयूर सुन्दर नृत्य दिखलाये
हर्षित भौंरे ताल मिलाएं
तितलियाँ मयूर संग लगाए ठुमके
गुलाब पंखुङियाँ करताल करे
दिनकर रश्मियाँ हुईँ उल्लासित
मनभावन स्वागत मान मिला
मानव मानस आनन्दित मगन
मनाया वसन्तागमन पर्व हर्षित
झूमा वसुन्धरा परिवार सकल
स्वागत ऐसा वसन्तागमन का
हुआ वसुन्धरा रमणी द्वारा।

- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 18, 2013 at 8:09am
आ॰ सौरभ पाण्डे जी, छन्द विधान से अनभिज्ञ हूँ। इसलिए जैसे भी होता है लिख लेता हूँ। भविष्य में शायद ज्ञान हो जाए। आपकी उचित सलाह पर विचार करुँगा।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 8:34pm

आशा है, आप ऐसी रचनाओं से बचने का प्रयास करेंगे.

ऐसी रचनाओं के होने के भावों को कृपया छंदबद्ध करने का प्रयास करें. प्रयासरत होने में कोई बुराई नहीं है.

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 16, 2013 at 7:52am
सुन्दर प्रतिक्रिया कर प्रोत्साहन करने के लिए आभार आ॰ योगी सारस्वत जी।
Comment by Yogi Saraswat on March 15, 2013 at 11:57am

कोयल गाये नवमंगल गीत
मयूर सुन्दर नृत्य दिखलाये
हर्षित भौंरे ताल मिलाएं
तितलियाँ मयूर संग लगाए ठुमके
गुलाब पंखुङियाँ करताल करे
दिनकर रश्मियाँ हुईँ उल्लासित
मनभावन स्वागत मान मिला

बहुत सुन्दर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service