For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिय साथियो ,

बच्चों की अनगिन बातें और उनके मन में उठते हज़ारों सवाल ! जिन्हें सुलझा पाना आसान नहीं.. आज के इस प्रतिस्पर्धा के तकनीकी युग में बच्चों की आवश्यकताएं उनके सवाल भी बदले हैं, जिन्हें आधुनिक सोच के साथ ही समझा-बूझा जा सकता है फिर भी हर किसी का उसे सुलझाने का अंदाज़ भी निराला ही होता है .

बाल साहित्य समूह की संचालिका के नाते मैं प्रस्तुत कर रही हूँ ‘एक अधूरी कहानी’ जिसे आप सबको पूरा करना है अपने-अपने शब्दों में, एक नवीनता के साथ.....

डॉ० प्राची 

संचालिका बाल साहित्य समूह 

प्रस्तुत है कहानी......

देव अब आठ साल का हो गया था. उसे अपना नया स्कूल बहुत पसंद था. खुश हो कर टाइमटेबल देखता और बस्ता लगाता, स्पोर्ट्स के पीरियड के दिन तो उसकी खुशी का ठिकाना ही न रहता.. ट्रैक सूट पहन , स्पोर्ट शूज़ की लेसेज कस, सुबह माँ कुछ कहे उससे पहले ही तैयार हो जाता.

स्कूल में खेल का बड़ा सा मैदान, स्टेडियम की तरह चारों ओर बैठने वाली सीढ़ियाँ, क्रिकेट पिच, बास्केट बौल और बैटमिंटन कोर्ट, बड़ा सा स्वीमिंग पूल, आदि आदि थे. स्पोर्ट्स रूम तो तरह तरह के स्पोर्ट्स के सामानों से भरा हुआ था.. ढेर सारे बेस बौल के बल्ले, हॉकी स्टिक्स, क्रिकेट किट्स, बास्केट बौल, फुट बौल, बोक्सिंग ग्लब्स आदि ढेर सारी चीजें थीं.

सबसे बड़ी बात तो उसे अपने स्पोर्ट्स के सर बहुत पसंद थे, जो उन्हें हर खेल के बारे में नयी नयी जानकारियाँ देते थे , मैदान में ले जा कर खेल की बारीकियां सिखाते थे.

चाहे इनडोर गेम्स, कैरम बोर्ड हो या चैस, या फिर आउट डोर गेम्स क्रिकेट हो या बेस बौल.. देव हमेशा ही सबसे आगे रहता और हर कम्पीटीशन में उसकी ही टीम जीतती. लेकिन देव को क्रिकेट सबसे ज्यादा पसंद था, वो कभी बौलिंग के अलग अलग स्टाइलस की प्रेक्टिस करते रहता तो कभी बैटिंग की अलग अलग पोजीशन्स की.. यहाँ तक कि फील्डिंग के लिए भी वो बहुत प्रेक्टिस करता... उसने तय कर लिया था कि ‘उसे तो बड़ा होकर एक क्रिकेटर ही बनना है और नेशनल टीम को रीप्रेसेंट करना है.’

वैसे तो देव पढाई में बहुत अच्छा था क्योंकि उसके टीचर्स भी नए नए तरीकों से पढ़ाते थे और उसकी माँ भी बहुत ध्यान देती थी उसकी पढाई पर, लेकिन उसे पढ़ना लिखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था. अक्सर अपनी माँ से  पूछता, कि क्रिकेटर बनने के लिए तो खेलना ज़रूरी है.. आप मुझे मैथ्स क्यों कराती हो ये डिवीज़न के लेंग्वेज सम्स- ये क्रिकेटर बनने के लिए कैसे ज़रूरी हैं, ये इंग्लिश क्यों पढाती हों – अब ये माई स्कूल और माई लाइब्रेरी पर एस्से का क्रिकेट से क्या लेना देना और हिन्दी की संज्ञा सर्वनाम क्रिया विशेषण का क्या काम, और तो और कम्प्यूटर के पेंटब्रश, वर्ड इन्हें सीखना तो क्रिकेटर बनने के लिए बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है.

माँ नें देव को प्यार से अपने पास बैठाया और.......

इस कहानी को आप अपने शब्दों में पूरा कीजिए और नीचे बने रिप्लाई बॉक्स में ही पोस्ट कर दीजिए... 

Views: 13606

Replies to This Discussion

अच्छी कहानी, सुन्दर प्रारम्भ और अंत प्रतीक्षित .. :-))

माँ नें देव को प्यार से अपने पास बैठाया और कहा देव बेटा मैं तुम्हें मैथ इसलिए पढ़ाती हूँ ताकि तुम क्रिकेट में हार जीत का हिसाब रख सको, इंग्लिश इसलिए ताकि तुम्हें कोच की बातें समझ आयें क्यूंकि ज्यादातर कोच विदेशी होते हैं जब तुम्हें उनकी बातें समझ नहीं आएँगी तो तुम प्रैक्टिस कैसे करोगे और जब तुम विदेश में जाकर क्रिकेट खेलोगे जीतकर देश का नाम रौशन करोगे और वो तुमसे इंग्लिश में प्रश्न करेंगे तो तुम जवाब कैसे दे पाओगे इसलिए इंग्लिश जरुरी है.

माई स्कूल और माई लाइब्रेरी पर एस्से और हिंदी की संज्ञा सर्वनाम क्रिया विशेषण का क्रिकेट से लेना देना है इसलिए है देव क्यूंकि जब तुम क्रिकेट में महारत हासिल कर लोगे तो तुम चाहोगे कि तुम्हारी तरह जो और बच्चे क्रिकेट में इतना इंटरेस्ट रखते हैं मगर उनके माँ बाप उन्हें क्रिकेट नहीं सिखा सकते क्यूंकि वो गरीब है तो उनके लिए एक ऐसी किताब लिखो जो क्रिकेट के बारे में हो और सरल हो जिससे बच्चे सीख सकें तो तुम कैसे कैसे लिखोगे क्यूंकि उसके लिए तो तुम्हें अच्छी हिंदी की जरुरत पड़ेगी जब तुम्हें हिंदी का ज्ञान अच्छे से नहीं होगा तो तुम सरलता से कैसे लिख पाओगे और अच्छे तरीके से लिखने के एस्से की जरुरत पड़ेगी.

देव कंप्यूटर के पेंटब्रश, वर्ड सीखना इसलिए जरुरी है कि तुम क्रिकेट में बोलिंग, बैटिंग और फील्डिंग के पोस बना सको और सिखा सको, तो देव यह सब क्रिकेट के जरुरी हुआ है न अब बताओ क्या तुम यह सब करोगे न क्रिकेट के लिए. देव को माँ की सारी बातें समझ आ गईं और वो मुस्कुराते हुए माँ के गले लग गया और बोला माँ आपको सब पता है मैं ये सब करूंगा कहते हुए यह सब करने लगा.

दीदी पहली बार प्रयास किया है कृपया त्रुटियों से अवगत कराएँ.

सादर

आदरणीय अरुण भाई बहुत ही सकारात्मक अंत कथा का. बहुत ही सुन्दर! सकारात्मक सोच ही जीवन को सकारात्मक दिश दे सकती है. आपको हार्दिक बधाई!

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

अहा! अहा! प्रिय अरुण जी 

कितनी ख़ूबसूरती से आपने इस अधूरी कहानी के आगे के भाग को प्रस्तुत किया है...

बच्चों की साईकोलौजी को समझते हुए माँ की भूमिका को प्रस्तुत किया है और बातों को बहुत सरलता से आपने देव के समझाया है..

बड़े हो कर गरीब बच्चों के लिए क्रिकेट पर एक किताब लिखने का ख़याल ....वाह ! सच कहूँ इस ख़याल नें मन मोह लिया. जहाँ एक तरफ ये बाल मन में नैतिक संस्कार के बीज रोपता दीखता है वहीं आपकी उत्कृष्ट सोच भी परिलक्षित करता है.

अंत में मुस्कुराते हुए देव का माँ से गले लग जाना और कहना "माँ आपको सब पता है"..... से बहुत ही स्वाभाविक सहज और सुन्दर शब्द चित्र उकेरा है.. जिस पर हृदय से बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें 

यह गद्य लेखन में आपका पहला प्रयास है भाई... तो आगे का रास्ता बहुत आगे तक जाने वाला है इसमें कोई दोराय नहीं 

बहुतबहुत आभार इस अधूरी कहानी को इतनी ख़ूबसूरती से पूरा करने के लिए.

हार्दिक शुभकामनाएँ 

आदरणीया प्राची दीदी सुप्रभात

आपकी उत्साह वर्धन टिपण्णी पाकर गद गद हो गया, दीदी यह केवल आपके आशीष एवं सहयोग से संभव हो सका है. आपको आगे की कहानी पसंद आई लेखन कार्य सफल हुआ. गद्य लेखन की शुरुआत का श्रेय आपको जाता है दी अन्यथा मैं कभी इस ओर नहीं जाता. आपका शुक्रगुजार हूँ हृदयतल से हार्दिक आभार आपका आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

..आ. प्राची जी ..बचपन के स्कूल कालेज के दिन याद आये नंदन चम्पक चंदामामा , बाल हंस , बालक जैसी पत्रिकाएं और अपने स्थानीय अखबार में चित्र गीत ..शीर्षक लिखो ,पहेली और कहानी पूरी करने की कई प्रतियोगिताएं थीं जिनका इंतज़ार रहता था ..... समय भी कितना बदल गया है ....पर आपने अच्छी शुरुआत की है सुन्दर रोचक ... साधुवाद इस स्तुत्य पहल के लिए !!

आदरणीय अभिनव अरुण जी 

बाल साहित्य समूह में बच्चों के लिए कहानियों को पूरा करने की इस शुरुवात पर आपका प्रोत्साहित करता अनुमोदन हर्ष का विषय है..

भाई जी आपकी कलम भी इस बाल कहानी को क्या मोड़ दे सकती है ये देखना अभी प्रतीक्षित है..:))

सादर.

बहुत अच्छी कहानी है पूर्ण करने के लिए जो दिमाग में आ रहा था वो प्रिय अरुन ने  पहले ही लिख दिया ,आप दोनों को बहुत बहुत बधाई 

आदरणीया राजेश जी 

आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद !

//पूर्ण करने के लिए जो दिमाग में आ रहा था वो प्रिय अरुन ने  पहले ही लिख दिया//......:)))) इस पर क्या कहूँ ?

सादर 

माँ नें देव को प्यार से अपने पास बैठाया और....समझाया.- “देखो बेटा तुम अभी छोटे हो इस उम्र मे जो भी तुम सीखोगे वह तुम्हारे आगे के जीवन मे बहुत लाभदायक होगा । जैसे जैसे बड़े होगे बड़ी क्लास मे पहुँचोगे और पढ़ाई भी अच्छी होती जाएगी और अच्छी पढ़ाई के साथ साथ खेल भी किया जा सकता है , फिर जब तुम बड़े हो जाओगे किसी अच्छी स्पोर्ट्स अकादमी को ज्वाइन कर लेना और वहाँ नई तकनीके भी सीखने को मिलेंगी पूरा समय तुम वहाँ अभ्यास करते करते सीख लेना, इसमे मै खुद तुम्हारी मदद करूंगी । लेकिन आज अभी पढना ज्यादा जरूरी है वो तुम कर लो जिससे तुम सचिन की तरह स्मार्ट बन सको । अनिल कुंबले को देखो वह भी एक इंजीनियर है और खेलता भी है । इसलिए खेलने के लिए भी पढ़ना जरूरी है इससे दिमाग फुर्ती से काम कर पाता है अच्छे विचार पनपते है । इसलिए मेरे प्यारे से मुन्ने माँ की बात मानेगा न ! “ देव ने हाँ मे सिर हिलाया और खुशी से आगे के जीवन के नए सपने देखता हुआ पढ़ने बैठ गया ।

--अन्नपूर्णा बाजपेई

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, बहुत ही सुन्दर रूप दिया है आपने कहानी को. आपको हार्दिक बधाई!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service