For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव युवा हे ! चिर युवा .................. . (अन्नपूर्णा बाजपेई )

नव युवा हे ! चिर युवा तुम

उठो ! नव युग का निर्माण करो ।

जड़ अचेतन हो चुका जग,

तुम नव चेतन विस्तार करो ।

पथ भ्रष्ट लक्ष्य विहीन होकर

न स्व यौवन संहार करो ।

उठो ! नव युग का निर्माण करो ...............

दीन हीन संस्कार क्षीण अब

तुम संस्कारित युग संचार करो ।

अभिशप्त हो चला है भारत !!

उठो ! नव भारत निर्माण करो ।

नव युवा हे ! चिर युवा ..............................

गर्जन तर्जन  ढोंगियों का

कर रहा मानव मन क्रंदन ।

सिंहों सी गर्जन अब हुंकार भरो

उठो सत्य प्रति मूर्ति नरेंद्र बनो ।

नव युवा हे ! चिर युवा ........................

गूँजे हुंकार कि काँप उठे दुष्प्रहरी

न मृगछौना बन शावक केसरी ।

चंहु दिशि गुंजित कर दे

ऐसी सिंह दहाड़ करो ।

नव युवा हे! चिर युवा.............

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 1600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on November 22, 2013 at 4:46pm

आ0 अरुण श्रीवास्तव जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on November 22, 2013 at 4:45pm

आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Arun Sri on November 20, 2013 at 1:23pm

सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती , आह्वान करती सशक्त कविता ! बहुत बढ़िया !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 12:52pm

नव युवा हे ! चिर युवा तुम

उठो ! नया निर्माण करो ।

जड़ अचेतन हो चुका जग,

नव चेतन विस्तार करो ।

होकर के तुम लक्ष्य विहीन,

न स्व यौवन संहार करो ।

उठो ! नया निर्माण करो ............

वाह वाह, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें |

Comment by annapurna bajpai on November 11, 2013 at 10:35pm

आदरणीय विजय जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by विजय मिश्र on November 11, 2013 at 5:32pm
सुसुप्त ,अवचेत और धन के प्रति दुराग्रही आज की युवा पीढ़ी को राष्ट्रधर्म और सद्कर्म के प्रति सचेत करती एक जोश भरी सदाग्रही कविता जो जीवन में समष्टि का भाव प्रेरण करती है . अतिसुन्दर ! साधुवाद अन्नपूर्णाजी .
Comment by annapurna bajpai on November 10, 2013 at 11:12pm

आपका हार्दिक आभार आ0 नीरज मिश्रा जी । 

Comment by Neeraj Nishchal on November 10, 2013 at 9:23pm

बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी है आदरणीया अन्नपूर्णा जी
सहृदय बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on November 10, 2013 at 8:47pm

आ0 राम शिरोमणि जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 8:19pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बहुत बधाई आपको। ..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
4 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service