For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी गिरते कभी उठते कभी सभलना सीख जाते हैं ।
मंज़िल उनको मिलती है जो चलना सीख जाते हैं ।

नये हर एक मौसम में नया आगाज़ करते हैं ,
वक्त के साथ जो खुद को बदलना सीख जाते हैं ।

बनके दरिया वो बहते हैं और सागर से मिलते हैं ,
जो बर्फीले सघन पत्थर पिघलना सीख जाते हैं ।

उन्होंने लुत्फ़ लूटा है बहारों कि इबादत का ,
बीज मिट्टी में मिट मिट कर जो मिलना सीख जाते हैं ।

अजब सौन्दर्य झलकाते बिखेरें रंग और खुशबू ,
जो काँटों और कीचड़ में भी खिलना सीख जाते हैं ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज 'प्रेम'

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:46pm

आदरणीय विजय मिश्र जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:35pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:30pm

आदरणीय विजय निकोर जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:29pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:28pm

आदरणीया मीना जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:27pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:26pm

आदरणीय सुशील जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:25pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:25pm

आदरणीया गीतिका जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:23pm

आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी बहुत बहुत आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service