For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उजालों की पनाहों में अंधेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये दिल नादाँ बुरे हालात मेरे ढूँढ़ लाया है ।

के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,

उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये अरमाँ ये तमन्नायें ये ख्वाहिश और ये सपने ,

मेरे चैनों सुकूनों के लुटेरे ढूँढ़ लाया है ।

ख़यालों कल्पनाओं की अज़ब दुनिया में खोया है ,

हकीकत से परे पहलू घनेरे ढूँढ़ लाया है ।

कभी सीखा न था हमने ग़ज़ल गीतों का ये दमखम ,

मेरी जानिब में ग़ालिब के बसेरे ढूढ़ लाया है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज  ' प्रेम'

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on November 30, 2013 at 7:48am

वाह! बहुत सुंदर रचना! हार्दिक बधाई!

Comment by Meena Pathak on November 29, 2013 at 6:49pm

बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारे आदरणीय 

Comment by coontee mukerji on November 29, 2013 at 4:36pm

के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,

उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।.........बहुत खूब नीरज मिस्रा जी.बहुत सुंदर ख्यालात.

Comment by annapurna bajpai on November 28, 2013 at 8:24pm

सुंदर गजल के लिए बधाई आपको । 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 7:49pm

क्या बात है बेहतरीन ग़ज़ल कही है

दिली दाद हाजिर हैं

जय हो

Comment by बृजेश नीरज on November 28, 2013 at 7:41pm

कृपया बहर लिखें! बहर न लिखकर पाठक की परीक्षा न लें!

Comment by Meena Pathak on November 28, 2013 at 5:35pm

बहुत सुन्दर ..बधाई आप को आदरणीय 

Comment by ram shiromani pathak on November 28, 2013 at 12:42am

सुन्दर प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई आपको  ,,,,,सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 27, 2013 at 9:28pm

आदरणीय नीरज " प्रेम " भाई ,!!!!! सुन्दर भावों , विचारों से सजी रचना के लिये आपको बधाई !!!!! अगर आपने ग़ज़ल कही है तो शिल्प के लिहाज़ से कमियाँ है वैसे आपने शीर्षक मे गज़ल नही लिखा है !!!!

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:05pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
1 hour ago
Admin posted discussions
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
15 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
22 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service