For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे संग्रह अँधेरे की चीख से ३ ग़ज़ले

एक 

जब से हुई है बंद दुकानें उधार की 

रंगत बिगड़ गई है फसले बहार की

सावन के रंग अब के फीके लगा किये

ये उम्र है नहीं अब सोलह सिंगार की

बौने है किस कदर ये आदम बड़े बड़े

हद देख ली है हम ने सब के मयार की

हो पायेगा उन्हें क्या जाने यहाँ अता

मन्नत जो मानते है उजड़े मजार की

बाजार से गुजर के वो शख्स रो पड़ा

कीमत बढ़ी हुई है मुश्ते गुबार की

किस्सा-ए-तोता-मैना यों याद था उन्हें

लिखी गयी कहानी उनसे शिकार की

 

दो 

हादसे खामोश है गुजरे इधर से 

लोग नंगे सर नहीं गुजरे इधर से

चीखती गलियों में कैसे रह रहे है

जान जाये आप जो गुजरे इधर से

आसमां हर सिम्त अपना रंग बदले

किसलिए ताजी हवा गुजरे इधर से

हिल गयी नीवें कहें क्या छप्परों की

इस कदर तूफ़ान है गुजरे इधर से

आँख खोले देखते तो देखते भी

नींद में ही आप है गुजरे इधर से

मुस्कराए गर तो मुंह टेढ़ा हुआ है

आंसुओं के काफिले गुजरे इधर से

 

तीन 

आदमी तो जाये धरती छोड़ कर पर 

ये समंदर रोज राहें रोकता है

टूट जाये आदमी नाजुक सी शै है

एक जज्बा है मगर जो टोकता है

एक सन्नाटा शहर में गूंजता है

आदमी रह रह के लेकिन चौंकता है

सांड छुट्टे खेत ना बस्ती चरेंगे

वक़्त का कुत्ता मगर क्यों भोंकता है

जिस्म में कतरे अभी बाकी बचे है

आदमी है,धौंकनी है,धौंकता है

सर्द मौसम आयेगा निश्चित हुआ है

भट्टियों में नींद कोई झोंकता है

Views: 421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 11:33pm
आभार राणा प्रताप जी  

 

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 11:30pm
आभार वंदना जी  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on February 5, 2011 at 8:36am

किस्सा-ए-तोता-मैना यों याद था उन्हें

लिखी गयी कहानी उनसे शिकार की

 

चीखती गलियों में कैसे रह रहे है

जान जाये आप जो गुजरे इधर से

 

जिस्म में कतरे अभी बाकी बचे है

आदमी है,धौंकनी है,धौंकता है

बहुत खूब, तीनों गज़लें आला दर्जे की हैं और ज़माने के दर्द को बखूबी बयान कर रहीं है| पढ़वाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
45 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service