For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे आज के हालात पर (भाग - 2)

रट्टू तोते की तरह, क्यों रटते दिन रात

दादा जी का नाम भी, गूगल पर मिलि जात


त्रेता के सज्जन कहैं, सबके दाता राम
कलियुग के ढोंगी कहैं, हमरे आशाराम


दिन भर आगे सेठ के, डरि के दुम्म हिलायँ
साँझ ढले पव्वा लगै, अउर शेर हुइ जायँ


हफ्ते में तो चार दिन, काटैं मदिरा माँस
बाकी के कुल तीन दिन, धरम करम उपवास


अबला से सबला हुई, नाच नचावैं आज
बाबू जी की खोपड़ी, बजा रहीं ज्यों साज


गुरु से चेला बीस अब, देय रहा है ज्ञान
इंटरनेट से पाय के, गूगल का वरदान


सुना लॉटरी लग गयी, उमड़ पड़ा है प्यार
पैदा देखो हो रहे, रोजय रिश्तेदार


कालहिं आयी ब्याह के, आज अलग संसार
कुल को अब नहि मानती, ये कलजुगही नार


- विशाल चर्चित
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 5, 2014 at 2:43pm

सही कह्या सौरभ सर....लकिन कहा बा न कि.....जहाँ न पहुँचै रवि...हुआँ पहुँचैं कवि... तव एह हिसाब से हम सभे पुरान याद ताजा औ खयाली पोलाव तव पकाइन सकित है....कम से कम सोचिन के बहुत नीक लागत है अब तव... एक दायीं फिन से प्रणाम करत अही....एतनी अच्छी बात औ आशीष बरे !!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 5, 2014 at 2:24pm

भइया विशाल..  बल्टी भर आम आ खोरिया भर जामुने के नाँव  आ बतिया सुने बदे ई कान तरसि गा अहै. .. . ना ऊ बीजू आम रहि गवा है आ ना ऊ बैंगनी रंगी डोभा-डोभा अस झरती जामुने रहि गईं हैं. बस नैनन मां सपना अब्बौ रहि-रहि हूक मारत रहिती है.

तब्बौ, एतना आदर बदे दिले से बोरा-झोरा भर असीस.. खूब मनगरे जीयऽ.. .

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 5, 2014 at 2:16pm

हहहहहह....

जरूर सौरभ सर, ई तोहार है घर
बल्टी भर आम औ जामुन खोरिया भर
अइसे खवाउब कि जिउ होय जाये तर
अब तनी हाथ धरा हमरे मूड़े पर
औ द्या आशीर्वाद कि लॉटरी जाय निकर  :)

आपको प्रणाम एवं हृदय से आभार !!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 1:52am

अवधी भाषा से बघार पाये इन कड़कड़ाये दोहों के लिए हार्दिक धन्यवाद, विशाल चर्चित भाई.. बहुत खूब !

सुना लॉटरी लग गयी, उमड़ पड़ा है प्यार
पैदा देखो हो रहे, रोजय रिश्तेदार... .  ............   त का बिचार.. हमहूँ पहुँचें का .. ??

शुभ-शुभ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:46pm

शुक्रिया विजय जी !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:46pm

स्नेहिल सराहना हेतु आभार गिरिराज सर जी !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:13pm

दिल से आपका शुक्रिया अखिलेश भाई जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:12pm

हां जितेन्द्र भाई.... वही सब देख कर तो सूझा..... हृदय से धन्यवाद भाई !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:11pm

कुन्ती जी आभार !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:11pm

बहुत - बहुत शुक्रिया मीना जी !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service