पथरे पर सुतल दुधमुहवा,
 छोटकी डोलावेले बेना
 बड़का पथावेला ईटा
 मिली तबे सांझ क चबेना|
 
 लरिकन के भेजिती सकूल
 इहे समईया क माँग
 कवनो सनेसनाही पाती
 कब अइहेन घर क सवांग|
 
 घर बइठलबंधक बनाई
 घुँघूटाअउ चूड़ी बहाना
 बचवन् क सँवरल भबीस्य
 जिनिगि क बड़का खजाना|
 
 दूनो हाथ ऊठल बा काम
 महिला सशक्तिकरण ह?
 जिनिगि हो जाई सुआरथ
 चउखट लँघाई क प्रण ह|
 प्रमोद श्रीवास्तव, लखनऊ
 
 मौलिक और अप्रकाशित
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| बहुत ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई | 
बहुत बहुत धनबाद | हमारा नीयर बकलोल क बकलोलई पर आपन बिचार दिहनी ह|
आदरणीय परमोद जी, एह सुघड़ रचना के जेतना तारीफ़ कईल जाव कम बा, बढ़िया काम भईल बा, बधाई लिही. सादर.
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