For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब ही नहीं सहर भी तू है।

22 22 22 22
शब ही नहीं सहर भी तू है।
मेरी ग़ज़ल बहर भी तू है।।

मेरे ज़ख्मों पे यूँ लगती।
मरहम साथ असर भी तू है।।

बहुत खूबसूरत है दुनियाँ।
ऐसी एक नज़र भी तू है।।

जीवन के हर पथ में मेरे।
मंजिल और सफ़र भी तू है।।

शाहिल तक पहुचाने वाली।
मेरी वही लहर भी तू है।।
**********************
-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 9:24pm
डॉ गोपाल जी हार्दिक आभार।।सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 6:53pm

बहुत उम्दा  पाठक जी i

मेरे ज़ख्मों पे यूँ लगती।
मरहम साथ असर भी तू है।।

बहुत खूबसूरत है दुनियाँ।
ऐसी एक नज़र भी तू है।।

Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 5:40pm
डॉ आशुतोष जी बहुत आभार आपका।।सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 29, 2014 at 4:41pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी ..सुंदर बिचारों से सुसज्जित इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई ..

Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 3:56pm
मिथिलेश भाई बहुत आभार आपका।।
Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 3:55pm
राम अवध जी अमूल्य सुझाव हेतु हार्दिक आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 3:54pm
सोमेश भाई बहुत आभार आपका।
Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 3:52pm
हरि प्रकाश जी बहुत आभार
Comment by ram shiromani pathak on December 29, 2014 at 3:51pm
जी आदरणीय गणेश जी।।सादर 22 22 22 22
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 29, 2014 at 7:43am

शिज्जू भाई ठीक फरमा रहे हैं गजल में कर्म का करम हो सकता है , धर्म का धरम हो सकता है जन्म का जनम हो सकता है समुदृ का समन्दर हो सकता है परन्तु बह्र का बहर नहीं हो सकता है जह्र का जहर नहीं हो सकता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service