For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1 2 2

 

भला क्या ?

बुरा क्या ?

 

खुदी से

मिला क्या

 

शज़र फिर

फला क्या ?

 

लिखे बस

पढ़ा क्या ?

 

फलक था

गिरा क्या ?

 

कहे बस

सुना क्या ?

 

नहीं दम

चला क्या ?

 

गजल ये

क़ता क्या ?

 

कटे पर

हवा क्या ?

 

मुहब्बत

दवा क्या ?

 

----------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर

----------------------------------

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:42pm

आदरणीया प्रतिभा जी आपकी सराहना और उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आभार ... एक रुक्नी ग़ज़ल ऐसे ही कह सकते है और इस रुक्न में केवल 5 मात्रा ही उपलब्ध है वो भी 122 में ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:22pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ...धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:21pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर आपकी सराहना और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद . नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:17pm
आदरणीय गिरिराज सर इस प्रयोग पर उत्साहवर्धक टिप्पणी और स्नेह के लिए हार्दिक आभार।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 12, 2015 at 5:06pm

गज़ब .........आदरणीय मिथिलेश जी दिल से बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 12, 2015 at 3:28pm

गजल कहूं या पहेली  ! लाजवाब i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 10:48am

बस ! कमाल है भाई मिथिलेश जी , बहुत खूबसूरती से इतनी छोटी बह्र निभाई है आपने । बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:27am

आदरणीय गुमनाम सर जी इस सराहना के लिए हार्दिक आभार ... हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:26am

आदरणीय खुर्शीद जी प्रयोग को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार, धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:24am

आदरणीय सोमेश भाई जी आपको ग़ज़ल पसंद आई .. हार्दिक आभार धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service