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अम्बरीश भाई, इस मुशायरे में जो रस मिल रहा है ना इसके आगे सभी रस बेकार है और ऐसी वेर्तुअल पियक्कड़ी के क्या कहने, हर्रे ना फिटकरी रंग भी चोखा,
OBO पर जायेगा तो मनुष्य सा हो जायेगा............मनुष्य लिखने के पीछे केवल मात्रिक गणित है नहीं तो आदमी ज्यादा सुट कर रहा था |
बहुत बहुत धन्यवाद , उत्साहवर्धन हेतु |
जल्दी मे लिख रही हूँ -
बुरा ना मानना होली है -
ये बेवडे सरफिरे शराबी
इनके भेजे मे कुछ ना जाएगा
गाली का शोर तेरा
इनकी गजलों मे बह जाएगा
एक लगा दे चपत सखी तो
चार चार नजर आएगा
उतर जायेगा नशा
फिर तो समझ आएगा
रोज पव्वा पी लिया तो
पीलिया हो जायेगा ....
हा हा हा ...
;))
होली मे ये भी होता है....
बुरा ना मानों होली है.......
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