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uttarakhand
Native Place
uttarakhand
Profession
Doctor

Dr Nutan's Blog

एक रेलगाड़ी और हम- एक सपना मेरा - जाने क्यों - डॉ नूतन ०4-०3-२०11

  मैंने देखा था इक सपना  

एक रेलगाड़ी और हम  

पिताजी टिकट ले कर आते हुवे 

और लोग स्टेशन का पता पूछते हुवे…

Continue

Posted on March 5, 2011 at 1:00am — 4 Comments

बसंत की पूर्वसंध्या - मेरी फोटोग्राफी - डॉ नूतन गैरोला -







७ फरवरी २०११ - रात्री ११ बजे





कितनी सर्द थी वो रात

हवा के तीव्र शीत  बवंडर

तड़ित तोडती सन्नाटा

हिम शिखर की नोंक पर

विस्फोटित होता बज्र भाला

लिहाफों के भीतर बस्ती

ठिठुरी सिमटी सकुचाई

कुछ जीव ओट की तलाश में

भटके थे रात भर

और दूर कहीं शुरू हुवा भोर

रंग लिए रुपहला…
Continue

Posted on February 8, 2011 at 8:30pm — 1 Comment

बसंत तुम देर से क्यूं आये ? -- डॉ नूतन गैरोला



ये पतझड़ भी कैसा था

अबके बहुत लंबा

और शीत ?

घनी गहरी बरफ में

हर फूल दबे मुरझाये|

बसंत! तुमने क्यों कर न देखा

मिट्टी… Continue

Posted on February 8, 2011 at 6:00am — 15 Comments

" एक चीख " एक सच्ची घटना .. Dr Nutan Gairola

ये कैसा महिला का महिला के प्रति प्यार ?

एक चीख मेरे कानो में गूंजती है ..बात छह महीने पहले की है ..जबकि एक चीख की आवाज पर मैं  अपने चेम्बर से बाहर निकली तो पाया - दर्द में पीड़ित महिला को, जो आठ माह के गर्भ से थी काफी रक्तस्त्राव की वजह से पीली पड़ी हुवी  थी | मैं  स्त्रीरोग…

Continue

Posted on February 6, 2011 at 11:30pm — 6 Comments

Comment Wall (9 comments)

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At 12:29pm on September 6, 2011, ganesh lohani said…

नूतन जी प्रणाम
आपकी रचनाओ को पढ़ता रहता हूँ | बहुत अच्छी लगी |

 

At 6:58pm on July 10, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 3:57pm on November 10, 2010, Dr.Brijesh Kumar Tripathi said…
Dr. Nootan ji I am glorified to be your friend ...thanks a lot
At 6:35pm on September 3, 2010, alka tiwari said…
ati sundar.
At 3:45pm on September 3, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 11:57am on September 2, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:50pm on August 31, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 7:43pm on August 31, 2010, Admin said…
जिंदगी एक खुली किताब है,
फिर भी ये किताब खुद के पास हो,
बेहतर
जो जाने कीमत इसकी,
जो जाने इज्जत इसकी,
जो इसके पन्नो का मोल समझे,
ये किताब हो तो उसके पास हो,

जो सर से लगाये यू ,
सरस्वती का वास हो,
भला हो या बुरा हो ,
अपना समझ कर जो माफ़ करे,
कुछ सीख नयी हो सीखलाने की,
दे वो सीख मृदुल मुस्कान से ,
जिंदगी की वो खुली किताब,
हो तो उसके पास हो,

( मैने आप की खुबसूरत कविता को हिंदी रूपांतरण कर के भेज रहा हूँ आप अपने पोस्ट को एडिट कर इसे पेस्ट कर सकती है, वैसे इस साईट पर हिंदी लिखने के लिये टूल मुख्य पृष्ठ के दाहिने तरफ Badge के नीचे दिया हुआ है जिसमे आप यदि Ram लिखेंगी तो स्वतः राम मे रूपांतरण हो जायेगा, उसके बाद आप ctrl +A से सेलेक्ट कर लीजिये, उसके बाद ctrl + C से कॉपी कर ले और फिर जहा पर पेस्ट करना हो वहा पर Ctrl + V कर पेस्ट कर दे , धन्यवाद ,)
At 7:09pm on August 31, 2010, Admin said…

 
 
 

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