For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२२/ १२२२ / १२२ 

न जानें क्या से क्या जोड़ा करेंगे
तुम्हारे ग़म में दिल थोडा करेंगे.
.
तुम्हारे साथ हम पीते रहे हैं  
तुम्हारी नाम की छोड़ा करेंगे.
.
तुम्हारी आँख का हर एक आँसू
हम अपनी आँख में मोड़ा करेंगे.
.
घरौंदे रेत के क्यूँ ग़ैर तोड़े
बनाएंगे, हमीं तोडा करेंगे.  
.
नपेंगे आज सारे चाँद तारे
हम अपनी फ़िक्र को घोडा करेंगे.
.
ख़ुदा को हिचकियाँ लगने लगेंगी
उसे आहों से झिंझोड़ा करेंगे.   
.
निलेश 'नूर' 
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2015 at 3:13pm

आ. बहुत सुन्दर गज़ल कही ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 19, 2015 at 11:51am

शुक्रिया आ. सौरभ सर. तुम्हारे ही है. शायद टाइपिंग में गलती रह गयी  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 19, 2015 at 11:50am

शुक्रिया आ. समर साहब 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 19, 2015 at 11:01am

’ओड़ा’ के काफ़िया को क्या बढिया निभा ले गये !

बधाई आदरणीय.

तुम्हारी नाम की छोड़ा करेंगे. या तुम्हारे नाम की छोड़ा करेंगे ? .. सही क्या होगा ? 

 

Comment by Samar kabeer on April 19, 2015 at 10:34am
जनाब निलेश नूर जी,आदाब,इस ज़मीन में अच्छे अशआर निकालना बहुत कठिन है,आपकी पिछली ग़ज़लों के मुक़ाबले यह ग़ज़ल कुछ कमज़ोर नज़र आई,फिर भी कुछ शैर अच्छे हैं,बधाई स्वीकार करें |
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 9:28am

नपेंगे आज सारे चाँद तारे
हम अपनी फ़िक्र को घोडा करेंगे.  वाह! क्या बात है सर

सुन्दर गज़ल पर बधाई आदरणीय!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2015 at 9:40pm

शुक्रिया आ. जितेन्द्र जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2015 at 9:39pm

शुक्रियाआ. उमेश जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 18, 2015 at 8:58pm

वाह! बहुत ही खूबसूरत गजल कही है आदरणीय नीलेश जी. दिली बधाई स्वीकारें 

Comment by umesh katara on April 18, 2015 at 7:28pm

बाह बेहतरीन गजल है सर वाह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service