For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल
2122 2122 2122 212
आपका ऐसे यहाँ आना ठिकाना हो कभी
खिल उठे बगिया मिलन का तो बहाना हो कभी।
धूप का धोया पथिक मैं जल रहा हूँ कामिनी
रूप के जी नेह जल से अब नहाना हो कभी।
लय भरे थे दिन कभी फिर लय भरी थी यामिनी
लौट आयें दिन वही फिर से तराना हो कभी।
भाव मन का भाँप लेतेे बिन कहे बातें हुईं
आ चलें फिर आजमा लें क्यूँ बताना हो कभी?
वक्त ने कितना सताया याद रखना लाजिमी
छक चुके अबतक बहुत अब क्यूँ छकाना हो कभी?
कह रहा हर पल कथाएँ आज अपने प्यार की
हो चुका अबतक बहुत फिर से फ़साना हो कभी।
नेह की नगरी पुरानी पड़ रही क्यूँ है भला
आज से आ फिर करें नजरें-निशाना हो कभी।
हो रहे बेघर बहुत अब बेबसी की मार खा
हो अगर तो आपका दिल आशियाना हो कभी।
भूलता जाता जमाना जो हुआ करता सुखद
साथ हों गर आप तो सपना सजाना हो कभी।
मौलिक व अप्राकाशित@मनन

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 4, 2015 at 2:21pm
आभार गिरिराज भाई,परिमार्जन करता हूँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2015 at 1:09pm

आदरणीय मनन भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।
हो रहे बेघर बहुत अब बेबसी की मार खाकर  -- इस मिसरे को फिर से देख लीजियेगा -- बेबह्र है ।

Comment by Manan Kumar singh on October 3, 2015 at 7:28pm
आभार आपका आ. वर्मा जी
Comment by Shyam Narain Verma on October 3, 2015 at 2:43pm
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service