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गजल
2212 2212 2212
कुछ कुछ उठा कर कब्र से लाया गया
बिसरा हुआ संगीत सुनवाया गया ।
मतदान की होते यहाँ पर घोषणा
फिर कुंद वह हथियार चमकाया गया।
देते रहे गाली परस्पर थे बहुत
मिलकर गले उनके लिपट जाया गया।
देते रहे थे घाव अबतक तो वही
फिर से सभी जख्मों को' धुलवाया गया।
कितने अपावन हो गये जो साथ थे
जो था अपावन नेह नहलाया गया।
हम-तुम हमेशा साथ थे आगे रहें
ऐसा अभी फरमान चिपकाया गया।
घर-घर लगायी आग सब सोये रहे
संपर्क कर फिर वर्ग दुहराया गया।
वैरी रहे होंगे कभी अब तो नहीं
अब भूलते जो तब रे' दफनाया गया।
कितना अभी पीछे पड़ा अपना वतन
हो याद कब झंडा था' फहराया गया।
कुछ हो भला पूरी अभी जन की रजा
देखें न कितना वक्त है जाया गया।
भर आ गया अपना गला किससे कहें
बेदर्द उनका गीत कब गाया गया?
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

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Comment

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Comment by Manan Kumar singh on October 8, 2015 at 8:20pm
शुक्रिया आदरणीय समर भाई,आदाब
Comment by Samar kabeer on October 7, 2015 at 11:07pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,वाह बहुत ख़ूब,अच्छी ग़ज़ल कही है आपने,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Manan Kumar singh on October 7, 2015 at 10:58pm
'=मात्रा पतन

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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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