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सुबह उठने के बाद रमेश की पत्नी ने कहा कि क्या दूध वाला चला जायेगा तभी जाओगे। यह सुनते ही वह तुरन्त उठ कर दूध लाने के लिए तैयार होकर जब वह बाहर आया तो अभी प्रातः काल की सुहानी हवा चल रही थी। वह धीरे-धीरे चलते हुए सामने के दूध वाले के पास पहुंचा जहां कि दूध के बर्तन लिए काफी संख्या में मुहल्ले वाले उपस्थित थे। भैंसे दूही जा रही थी। पास ही चैकी पर दूध की बड़ी सी बाल्टी रखी थी। जिसमें से ग्वाला दूध नाप कर दे र हा था।
रमेश के प हुंचते ही माना काकी ने पूछा कि रमेश देर से क्यो आये यहां तो अब दूध खत्म होने वाला है। मालूम नहीं क्या कि खिचड़ी के दिन की तैयारी के लिए दूध की कितनी मांग है।
रमेश ने कहा कि रात में देर से सोने के कारण देर हो गयी। क्या सचमुच दूध कम हो गया है?अभी तो नापा जा रहा है।
काकी बोली कि अभी यहां पर दूध कम हो गया है। इन्होंने दूसरे दूध वाले दूध मंगवाया है। देखो सबको निबटा पाते हैं या नहींै।
तभी मोटर साईकिल से दूध का बाल्टा लिए एक लड़का वहां पर आया और बाल्टी में दूध डालने लगा। वही पर रामू खड़ा था उसे दूध की धार कुछ पतली लगी। उसने लड़के को टोका कि वह दूध डालना रोके क्योंकि दूध मंे पानी की आशंका है। दूध वाला लड़का नहीं माना रामू ने जब उसके बाल्टा को रोकने की कोशिश की तो इस दरम्यान धक्का लगने से बाल्टा लुढक गया और करीब -करीब सारा दूध गिर गया। अब रामू और बाल्टा वाले में झगड़ा होने लगा। दोनो एक दूसरे का कुर्ता फाड़ने व दोनों आपस में अपशब्द बोलतें हुए मारपीट करने लगे। वहां पर कई उम्रदराज व्यक्ति भी खड़े थे लेकिन जब तक दोनों घायल न हो गये किसी ने बीच-बचाव नह ीं किया।
अन्त में दूध वाला जो कहीं गया हुआ था वहां आया और घटना की जानकारी लिया कि बाल्टे के गिर जाने से दूध बेकार हो गया है तो उसने कहा कि रामू तुम्हे कैसे लगा कि दूध में पानी मिलाया गया है। रामू ने कहा कि आपकी बाल्टी में जो दूध है वह बाहरी है तथा अभी जो बाल्टी दूध कर आयी है उससे उसका मिलान कर लिजिए पता चल जायेगा। कि दोनों में क्या अंतर है। यह सूनकर उसने दोनों दूध का मिलान किया और पाया कि आने वाले दूध में मिलावट है जिससे वह पतला व स्वादहीन है।
इसके बाद उसने उपस्थित जनों व रामू से माफी मांगी और जहां से दूध आया था लाने वाले की लानत मलामत की। उसने कहा कि खिचडी के कारण दूध की मांग होने से ही वहां से मांगा था लेकिन यह गड़बड़ी कहां से हुई इसका पता लगाउंगा ।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on January 18, 2016 at 7:53am

आदरणीय , इस प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:08am

बहुत ही सुन्दर, आप बहुत बहुत बधाई

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