For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत........सेंभल के फूल

खिले जो फूल सेंभल के

रहे वह मात्र दस दिन के

वो दुनियां देख न पाये

अहं के झूठ के साये

लड़े हर वक्त मौसम से

हुये बस धूल कण-कण के.............खिले जो फूल सेंभल के 

रुई की नर्म फाहें उड़

गगन को भेदना चाहें

हवा रुख को बदल देती

उगाती रक्त की बांहें.

पकड़ कर ठूंसते-पीटें

लिहाफों में भरें धुन के...............खिले जो फूल सेंभल के 

हवाओं से भरे फूले

निशक्तों की तरह झूलें

लिये फल फूल रस कलियां

मिली नहिं देव की गलियां

समय ने नित्य झकझोरा

बिजूखों सा गिरे तन के................खिले जो फूल सेंभल के 

कहें जन्नत मिले दो जख

चुभें नित कण्ट शूली नख

वियावानों घने वन में

भटकते टीसते सदमें

सुखी जीवन क्षरे हरपल

सुनाते दर्द चुन-चुन के..................खिले जो फूल सेंभल के 

मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2016 at 9:57pm

yDelete Comment

आ० रामबली भाई जी, सादर प्रणाम!   उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 11:25pm
आ.केवल जी सुंदर गीत के लिए हृदयतल से बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2016 at 8:42pm

आ० रामशिरोमणि भाई जी, सादर प्रणाम!   उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2016 at 8:41pm

आ० समर भाई साहब, सादर प्रणाम! उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:53pm
सुन्दर प्रस्तुति भाई।।बधाई
Comment by Samar kabeer on March 9, 2016 at 10:30am
जनाब केवल प्रसाद जी आदाब,बहुत अच्छा लगा आपका नवगीत,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service