आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत बहुत शुक्रिया आ ओम प्रकाश जी
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी! बेहतरीन प्रस्तुति!
बहुत बहुत शुक्रिया आ तेज वीर सिंह जी
बहुत बहुत शुक्रिया आ जानकी वाही जी
बेहद अर्थगर्भित लघुकथा कही है भाई विनय कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें I
बहुत बहुत शुक्रिया आ योगराज सर
भले ही किताबो को जलाने के बाद उन्हें अपनी चाल सफल लग रही होगी परन्तु किताब के जलने से विचार और सोच थोड़े न ख़तम हो जायेंगे, एक असफल षड्यंत्र की ख़ूबसूरत पेशकश .
बहुत बहुत शुक्रिया आ रीता गुप्ता जी
बहुत बहुत शुक्रिया आ नीता कसार जी
विषय को परिभाषित करना तो कोई आपसे सीखे . इससे अधिक और क्या कहूँ ? बस बधाई और शुभकामनाएं ..
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