आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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परम आदरणीय , आपने उत्तम कह कर मेरी रचना को आशीर्वाद दिया , बेहद शुक्रिया। आपसे एक शिकायत है सम्बोधन को ले कर : जनाब प्रदीप नील जी
मैं आपकी जगह होता तो प्रिय प्रदीप कहता
बहुत सटीक और बढ़िया रचना विषय पर, हाँ आखिरी पंक्ति के बिना भी काम चल सकता था| बहुत बहुत बधाई
शुक्रिया विनय भाई और उससे भी ज्यादा शुक्रिया सुझाव देने के लिए। आपने सुनील जी की तरह बिलकुल सही इशारा किया है। मैंने सुनील जी से जो कहा वही निवेदन आपसे भी : आप बिलकुल सही कह रहे हैं। क्लाइमैक्स तो वहीँ था बाद में कुछ कहने की जरूरत ही नहीं थी। इतना तो मैं भी समझता हूँ कि लघुकथा में एक भी फालतू वाक्य बहुत महंगा पड़ता है , भविष्य में ध्यान रखूंगा। यही दृष्टि बनाए रखिएगा।
रिश्तों की कालिख को उजागर करती संवाद शैली में प्रस्तुत इस सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।
आप सम कथा मर्मज्ञ से इतनी प्रशंसा पा कर अभिभूत हूँ। सुशील जी , कोशिश करूंगा आपसे प्रेम पाता रहूं।
आ शशि जी , आपने जो हौसला दिया , बदले में आभार और शुक्रिया काफी छोटे शब्द हैं। मेरा लेखन सफल हुआ।
जी बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि जी।
अति सुन्दर प्रस्तुती माननीय वशिष्ठ जी बधाई स्वीकार करें
जैन साहब इतनी ही सुंदर टिप्पणी के लिए कृपया धन्यवाद स्वीकारें।
जैन साहब इतनी ही सुंदर टिप्पणी के लिए कृपया धन्यवाद स्वीकारें।
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