आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीया कान्ता जी मनुष्य स्वभाव नही छोड़ पाता जैसे सुधीर कथा में परिस्तिथियों के बावजूद अपना विष उगले बिना नही माना, लगा आपने जल्दी लिखी हैं. मानव स्वभाव को अंकित करती सरस कथा बधाई आदरणीया
आ.कांता जी नए कथानक के साथ सुंदर प्रस्तुती कए लिए बधाई.
रचना पसंदगी के लिए आभार आपको आदरणीया नयना जी
एक बात बताएँ आ० कांता रॉय जी, यह रचना षड्यंत्र विषय को किस तरह संतुष्ट कर रही है? अंत तक पहुँचते पहुँचते यह तो एक लड़की के अंदर छुपी नफरत के उभर आने की कहानी साबित हुई हैI
पूज्यनीय सर जी , क्या आप ये कहना चाहते है कि विषय अगर " षड़यंत्र " है तो पात्रों को सिर्फ षड्यंत्र रचते -रचावाते हुए ही कथा में दिखाना है अर्थात विविध प्रकार के षड़यंत्र और उसके तरीके !
मैंने विषय पर लेखन के बारे में अब तक ये जाना है कि हम सबको यहाँ सिर्फ षड़यंत्र का रच देना ही नहीं दिखाना है बल्कि उससे उपजे विषादपूर्ण परिस्थितियाँ , उसके दुष्परिणाम , सकारात्मक हो या नकारात्मक सभी कुछ लिखते हुए , षड्यंत्र करने के पीछे की कुंठाओं को ,उन मानसिकताओं को भी बाहर लाना है ।
प्रस्तुत इस लघुकथा में षड्यंत्र के बाद के दुष्प्रभाव को दिखाने की कोशिश की है । पात्रा के जीवन में बदलाव जो कि सकारात्मक पक्ष है लेकिन उसके चरित्र पर लगे उस लांछन से उसके मन का घाव मवाद बनकर बाहर आया है ,जो सुधीर पर थूकने के द्वारा संदर्भित हुआ है ।
षड्यंत्री सुधीर जी का पल -पल बदलता रूप इंसान की फितरत कभी नहीं बदलती को परिभाषित करते हुए और उसको मिला उसका प्रतिफल सब षड्यंत्र का ही हिस्सा तो है । अपनी बेटी के रिश्ते बनाने के लिए किसी दुसरे की लड़की के लिए षडयंत्र रच कर उस पर चारित्रिक लांछन साबित करना , ये सभी बाते षड्यंत्र के परिणाम को ही तो संदर्भित करते है ।
आपने कहा है कि // अंत तक पहुँचते पहुँचते यह तो एक लड़की के अंदर छुपी नफरत के उभर आने की कहानी साबित हुई हैI//-----सर जी , ये नफरत षड्यंत्र का निर्मम परिणाम है । षड्यंत्र क्यों किया जाता है / षड्यंत्र कैसे किया जाता है / षड्यंत्रि कैसा महसूस करता है षड्यंत्र रच कर / जिसको मोहरा बनाया गया उस पर क्या बीती / षड़यंत्र का परिणाम / षडयंत्र के बाद सामाजिक परिस्थितियाँ / सबको ही तो रचना था इस विषय पर लिखते समय ।
क्षमाप्रार्थी हूँ ,लगता है अधिक लिख गयी हूँ , आपको तो मालूम है कम शब्दों में बात रख नहीं पाती हूँ अपनी . अधिक बोलने की जो आदत है . बार -बार क्षमा प्रार्थना . सादर __/\__/\__/\__
मैं जाती तौर पर इस जवाब से न तो संतुष्ट हूँ न सहमतI क्योंकि कथा के अंत या पञ्च-लाइन में कथा की रूह होती है, आपकी कथा का अंत षड्यंत्र के आस पास भी नहीं हैI नफरत या हिकारत से थूकना कतई षड्यंत्र को परिभाषित नहीं करताI लास्ट बट नोट दि लीस्ट, एक लघुकथाकार को ज़रूरत से ज्यादा शब्द कभी खर्च नहीं करने चाहिएँ, ऐसा केवल केवल बतकूचन की श्रेणी में आता हैI
सर जी , विषय पर कथा लेखन कैसा हो ? इसमें क्या -क्या सावधानी रखने की जरुरत होती है ? विषय पर लिखते हुए किन -किन बातों को विषय की इर्द-गिर्द संदर्भित करना चाहिए इस पर कुछ कहिये ताकि हम सबका मार्गदर्शन हो .सादर
हे पुण्यात्मा कांता रॉय जी, लघुकथा की कक्षा किस लिए शुरू की गई थी, ज़रा बताएँI
सर जी , सीखने और सिखाने के लिए , तकनीकों पर ,लेखन पर ,प्रस्तुति पर इत्यादि चीजों पर चर्चा करना ही तो इस आयोजन का उद्देश्य है . यही अभिप्राय है आयोजन का .
मेरी मंद बुद्धि में अब तक तो यही बात है . क्षमा सहित
सर जी , भूख हिन्दुस्तान में लगी हो और ऐसे में आप जापान जाकर खाना खाने के लिए जाने को कहेंगे तो बड़ी मुश्किल होगी :)))))
भूखा भी ओबीओ पर ही है और खाना भी ओबीओ पर !! ज़रूरत है मेरी तरह पौने दो नम्बर का चश्मा पहनने की !
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