For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तज़मींन बर ग़ज़ल फ़िराक़ गोरखपुरी
2122 2122 2122 212

उसके लब औ' जाँफ़िजा़ आवाज़ की बातें करो
फिर उसी दमसाज़ के ऐजाज़ की बातें करो
सोगे इश्क़ आबाद है अब साज़ की बातें करो
"शामे ग़म कुछ उस निगाहें नाज़ की बातें करो
बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो."

ज़िंदगी में जाविदाँ हैं अाहो दर्दो रंजो ग़म
जिक्र से उस शोख़ के देखे गए होते ये कम
उसके ढब,उसकी हँसी,हर शौक़ उसका हर सितम
"नक्हते ज़ुल्फ़े परीशां दास्ताने शामे ग़म
सुब्ह़ होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो".

रात भर तारीकियों में उसका चेह्रा ढूँढना
रतजगे से पलकें भारी,ख़ुद से हूँ नाआशना
देख शबनम का क़दम के जौर से यूँ फूटना
"ये सुकूते यास, ये दिल की रगों का टूटना
ख़ामुशी में कुछ शिकस्ते साज़ की बातें करो."

मेरे शाने से लगी उसकी कभी हस्ती रहे
और आँधी सी कभी पहलू से वो उठती रहे
आह भी गाहे ब गाहे साँस में घुलती रहे
" हर रगे दिल वज्द में आती रहे, दुखती रहे
यूँ हीं उसके जा ओ बेजा नाज़ की बातें करो"

दिख रहा है मुझको मंजर आर से उस पार का
आ रही बाहर से भीतर एक भूली सी सदा
आज ज़ंजीरें झनकती पैरों में हैं बारहा
"कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ फ़ज़ा कुछ हसरते परवाज़ की बातें करो"

जाँ फि़जा़ - प्राण बर्धक, एजाज़ - चमत्कार जाविदाँ - हमेशा
सुकूते यास - निराशापूर्ण मौन
जा ओ बेजा- उचित अनुचित
क़फ़स - कैद खाना

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 7:22pm
प्रस्तुति तक आने व सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी. सादर
Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 7:20pm
तज़मींन की सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवि शुक्ला जी. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2016 at 8:26pm

आदरणीय श्री सुनील भाई , फिराक़ साहब की गज़ल पर आपकी तज़मीन  बहुत पसंद आयी , बहुत खूब ,  मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by Ravi Shukla on July 6, 2016 at 12:21pm

आदरणीय श्री सुनील जी तजमीन के लिये फिराक साहब ही गजल चुनी और बढि़या तजमीन पेश की इसके लिये आपको बहुत बहुत बधाई  अच्‍छा गला इस रचना को पढ़कर । पुन: बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service