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ये छुआ छूत घाव है भाई

बहर:-2122-1212-22

ये छुआ छूत घाव है भाई।।
आदमी का स्वभाव है भाई।।

उनसे रिश्ता जुड़ा जुदा तो है ।
अपना अपना झुकाव है भाई।।

लोग दर्दो गमो के मारे हैं ।
बस सजगता बचाव है भाई।।

ये बहर ही गजल का नक्शा है।
इसपे लिखना ही चाव है भाई।।

आज आमोद तुम भी रुस्वा हो।
अब ये कैसा पड़ाव है भाई।।..आमोद बिन्दौरी

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Comment by Ashok Kumar Raktale on September 11, 2016 at 7:29pm

आदरणीय आमोद जी सादर, अच्छी गजल कही है आपने. बाकी सब तो गुणीजन बोल ही चुके हैं. सादर.

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 3:54pm
बेहतरीन ग़ज़ल भाई । शह्र या बह्र लिखने पर वजन 2 1 होगा परन्तु जो शब्द आपने लिखा है वह हिंदी के आम बोलचाल के भाषा में बहार लिखा है । यदि इसका उच्चारण करके बोले तो वज्न 12 ही बनता है । फिर भी विद्वानों के मत से मैं भी सहमत हूँ । कबीर साहब विद्वान व्यक्ति हैं । उनकी बात पर ही मेरी भी मुहर है ।
Comment by Samar kabeer on September 8, 2016 at 9:34pm
जनाब आमोद श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
मिसरों में रवानी पैदा करने पर भी ध्यान दें,जनाब शिज्जु शकूर साहिब की बात माक़ूल है ।
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 8, 2016 at 11:38am
आ आदाब जी सर अगली बार ख्याल रक्खेगे .....अप ने समय दिया और उत्साह दिया आप का तहेदिल से आभार

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Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2016 at 10:47am

अच्छी ग़ज़ल है आ. आमोद जी बधाई स्वीकार करें, एक बात और चौथे शे'र में आपने बहर का वज्न 12 ले लिया है उर्दू के हिसाब से 21 होता है देख लीजिएगा

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