आदरणीय साथिओ,
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आ० मनिषा जोबन देसाई जी, बेहद उलझी और भटकी हुई रचना है यहI आपने इसमें कहना क्या चाह है यही समझ नहीं आ रहाI रचना बेहद कमज़ोर है, क्योंकि:
1. रचना में टंकन/व्याकरण की काफी त्रुटियाँ हैंI
2. टेक्निकली यह लघुकथा है ही नहीं, क्योंकि इसमें कालखंड दोष हैI
3. रचना प्रदत्त विषय "भंवर" के आसपास भी नहीं हैI
बहरहाल, सहभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकार करें.
आभार सर, अब आगे ओर अच्छा करने का प्रयत्न करेंगे
आदरणीय मनीषा जोबन देसाईं जी आप ने बहुत अच्छे मंच पर कदम रखा है. प्रयत्न करते रहिए.आप की कलम निखर जाएगी.
भंवर
सुबह ११.०० बजे
“शांति ने आज इतनी देर लगा दी ,झाडू –बर्तन सब पडा है |पता नहीं क्या करती रहती है आजकल ,ज़रूर फोन पर बतिया रही होगी |सारी बातें इसे फोन पर ही कर लेनी होती हैं ,ये फोन ही इस लड़की को ले डूबेगा|”
“आंटी ..आंटी”
“बातें बाद में ,पहले जल्दी से कुकर ,कढाई धो दे ,दाल सब्जी बनानी है “
तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी |वह फुर्ती से बरामदे में चली गई |पंद्रह मिनिट बाद आई ,हँसते हुये कहती है “कृष्णा को तो ज़रा जरा सी बात पर फोन करके बात करनी होती है |मैं जो कहूं वही करता है ,जो खाना चाहूँ वही ले देता है |
“करता क्या है”
“ओला कंपनी में ड्राइवर है”
“पढ़ा लिखा है या तुम्हारी तरह बस बस साईन करना जानता है”
“आंटी बड़े घर का है ,इंटर पास है |काला है तो क्या मैं तो गोरी हूँ ना !”
“मौहल्ले में सब उससे डरते हैं दादा टाइप है न ,पुलिस वालों से भी दोस्ती है उसकी |
कहता है जबसे मुझसे दोस्ती हुई है किसी और लड़की की तरफ उसका देखने का मन ही नहीं करता है |शादी के बाद मुझसे काम नहीं करवाएगा |”
“आंटी ३०० रू. दे दीजीये ,कल उसका जन्मदिन है ,टीशर्ट लेना है ,कल की छुट्टी भी दे दीजीये ,विन्ध्याचल जायेंगे ,पिकनिक करेंगे |”
दो दिन बाद
“बर्थडे मन गई ,टीशर्ट ठीक आई”
“कल देर रात २ बजे तक लौटे ,टीशर्ट तो मैंने पहना दी |”
“उसकी पीठ पर दागा हुआ नंबर है ,कहरहा था बैंक में चोरी करते समय कैमरे मेंफोटो आ गई,इसलिये पुलिस ने पकड़ लिया ,हर महीने हाजिर होना पड़ता है |”
अगले हफ्ते
“हमलोग शादी कर रहे हैं मां बाप राज़ी नहीं हैं मंदिर में करेंगे |कमरा किराए पर लेकर रहेंगे |सास ननद का लफड़ा भी नहीं रहेगा |”
“कोर्ट में की गयी शादी वैध मानी जाती है मंदिर की नहीं”
“हाँ आंटी ,और भी लोग ये बात कह रहे थे ,कृष्णा कहता है उसकी बहिन की शादी हो जाए फिर हमलोग कोर्ट में शादी कर लेंगे |”
अगले महीने
“आंटी महीना नहीं हुआ |”
“सरकारी अस्पताल में दिखा दो”
“आंटी बच्चा अभी नहीं चाहिए ,कैसे पालेंगे ?कृष्णा की नौकरी छूट गयी है| ग्राहक ने शिकायत कर दी ,शराब पीकर गाड़ी चला रहा था |कहता है बच्चा गिरा देंगे |
डा.कह रहीं थी ४ महीने हो गए हैं बच्चा गिरा नहीं सकते हैं |अस्पताल में आया टाईप की औरत मिली थी कह रही थी बच्चा हमको दे देना हम पाल लेंगे |दस हज़ार रु, तुमको दे देंगे |कृष्णा ने कह दिया लड़का होगा और घरवाले हमलोगों को रख लेंगे| लड़का हो या लड़की ,बच्चा तो अपना ही है न ,किसी को क्यों दूं |
६महिने बाद
शांति दिखाई नहीं पड़ी मौहल्ले में चर्चा थी की वह मीरगंज की गली में कमरा लेकर रह रही है ,उसके लड़की हुई है |
.
मौलिक और अप्रकाशित
रचना में दो दिन बाद/अगले हफ्ते/अगले महीने/6 महीने का अंतराल आ जाने से रचना कालखंड दोष का शिकार होकर टेक्निकली लघुकथा नहीं रही मनीषा सक्सेना जी. पहले हिस्सों को पूर्व स्मृति (फ्लैशबैक) तकनीक से लिखें तो कालखंड दोष दूर होगा. बहरहाल आयोजन में सहभागिता हेतु बधाई स्वीकार करेंI
आदरणीय भाई साहब जी की बात की गुरुमंत्र समझ कर अपना ले. आप एक दिन सफल लघुकथा लेखिका बन कर निकलेंगी.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 को अपनी सुन्दर रचनाओं व सारगर्भित टिप्पणियों द्वारा सफल बनाने हेतु सभी सुभी साथिओं का हार्दिक आभार. इस बार आयोजन में आईं 22 में से 20 रचनाएँ संकलन के लिए स्वीकृत की गई हैं, आयोजन की अंतिम 2 रचनाएँ क्योंकि विधासम्मत एवं विषयानुकूल नहीं थीं अत: उन्हें संकलन में शामिल नहीं किया गया हैI अब अगली भेंट 30 से 31 जुलाई 2017 को गोष्ठी के 28वें अंक में होगी, जिसका विषय होगा "सुख".
जय ओबीओ
जय भारती
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