For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जल रहे चिराग हैं, जिंदा यहां तख़्त-ओ-ताज है
बह रही गोमती, रोशन यहां के घाट हैं
यह लखनऊ की धरती

यह लखनऊ की शाम है

तहजीब यहां अब्दो आब है,खिलते हर दिल में ख्वाब हैं
दुश्मन को भी कहते आप हैं,दोस्त भी अमें यार हैं
गंज की शाम है, बागों में भी बाग हैं
यह लखनऊ की धरती
लखनऊ की शाम है।

रूमी दरवाजा वो शान है, आज भी तहजीब उसकी आन है ।
इमामबाड़ा हिंदू मुस्लिम एकता की पहचान है
बेगम की कोठी में जलते चिरो चिराग,नक्खास पर सजती बाजार है,
बादरी की अपनी ही पहचान है ,
ये अवध की धरती है,
ये अवध की शाम है।

आरजू आराइश है, आलिम यहां आवाज़ है,
अहज़ान में बैठे जब, देख आशुफ्ता जहान को
आदिल हो बैठा दिल, दोस्त ईमान पर ,

मिलती यहां हर सीख है,अंजुमन में होती यहां की शाम है,
उजली अर्जमंद धरती, ये शहरों मे न शहर आम है  

ये यहां की शाम है।
ये अवध की शाम है।

                            पीयूष उमराव(पीय)

                            (मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by peeyush kumar on January 8, 2018 at 9:57pm
आदरणीय मो•आरिफ जी 
नमस्कार
आप ने रचना पसंद की,हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद।
मैं और भी रचनाओं में यह प्रयास जारी रखाने की कोशिश करूंगा।
🙏आभार
Comment by peeyush kumar on January 8, 2018 at 9:56pm
आदरणीय मोहित मिश्रा जी नमस्कार
आप ने रचना पसंद की,हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद।
🙏
Comment by peeyush kumar on January 8, 2018 at 9:56pm
आदरणीय समर कबीर जी प्रणाम
आप ने रचना पसंद की,हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद।
🙏
Comment by peeyush kumar on January 8, 2018 at 9:55pm
आदरणीय सुरेंद्र जी प्रणाम
आप के प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद,आगली रचना में उर्दू शब्दों का अर्थ अवश्य लिखदेंगे। आप का आभार🙏
Comment by नाथ सोनांचली on January 8, 2018 at 1:44pm

आद0 पीयूष जी सादर अभिवादन। बेहतरीन रचना पर दिल खोल कर बधाई। कुछ कठिन उर्दू शब्दो के अर्थ भी लिख दें,तो रचना समझने में और आसानी हो। इस उत्तम प्रस्तुति पर कोटिश बधाइयाँ। सादर

Comment by Samar kabeer on January 7, 2018 at 4:10pm

जनाब पीयूष जी आदाब,अच्छी रचना हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on January 7, 2018 at 7:35am

आदरणीय पीयूष जी आदाब,

                            शान-ए-अवध का बहुत ही सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया आपने । आज पूरे मुल्क में हवा ही कुछ ऐसी चल रही है जो हमारी तहजीब को ख़त्म करने पर आमादा है ।इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई.स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
15 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
22 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
59 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service