Tags:
" कापर करूँ श्रृंगार सखी, पिया मोरा आन्हर रे "..........हा हा हा हा...बहुत सही कहा आपने...
थोडा बहुत जो भी लिखती हूँ ,उसपर टिप्पणियां भी मिलती हैं और यह सत्य है कि कई टिप्पणियां विषय को विस्तार दे जहाँ मेरी सोच को भी सुस्पष्टता देती हैं वहीँ, कई टिप्पणियां चीख चीख कर यह भी बता जाता जाती हैं कि " देख मैंने अपना कीमती समय देकर टिपण्णी दे तुझे उपकृत किया, अब झटपट आकर मेरी पोस्ट पर टिपिया जा..नहीं तो अगली बार यह कृपा मिलने से रही..." ऐसी टिप्पणिया लेखन का क्या विकास करेंगी, पता नहीं...
चाहे कैसी भी हो ,अपनी रचना की आलोचना सुनना किसी को बर्दाश्त नहीं...असंख्य कपरफुटौअल का दिग्दर्शन अभी तक कर चुकी हूँ इस ब्लॉग जगत में.. सो स्कोप नहीं बचता इसके लिए..
वाह वाह ..शाबाश ..पीठ ठोंका ठोकी से स्तर कितने ऊपर जायेगा,पता नहीं...
मुझे तो स्तर ऊपर करने का एक ही साधन सूझा है आजतक... और वह यह कि, पढने और लिखने का अनुपात सौ और एक का रखो ( सौ पढ़ चुकने के बाद ही एक कुछ लिखो) और जो भी जिस विधा में भी लिखो प्रथमतया यह देखो कि उसका स्तर और प्रभाव( कल्याण के अर्थ में) कैसा होगा...
तुलसीदास जी ने टिप्पणियों की सोचकर लिखी होती तो शायद आज हमारे पास रामचरित मानस होती ही नहीं...
लोक कल्याण के ध्येय से प्रभु को समर्पित कर तुलसीदास जी ने एक कथा लिखी (उसके साथ क्या क्या हुआ विद्वानों द्वारा ,सभी जानते हैं) और वह कालजयी हो गयी...हमें ध्यान में रखना होगा न इन जैसे उदाहरणों को ????
रंजना जी, आप आराम से ओ बी ओ को पढ़िए और एक कोई घटना बताइए कपर फुटौवल वाली, यहाँ पर आपको वह भी माहौल नहीं मिलेगा कि तू मुझे शाबाश कह मैं तुम्हे............ यहाँ पर तो कई गुणीजन इस तरीके से आप कि कमियों को बता जायेंगे कि आप को गर्व महसूस होगा कि मैं उस मंच पर हूँ जहाँ ऐसे ऐसे साहित्यकार है |
मैं इस बात से बिलकुल इत्तफाक नहीं रखता कि "चाहे कैसी भी हो ,अपनी रचना की आलोचना सुनना किसी को बर्दाश्त नहीं" जिस दिन साहित्यकार इस तरह का सोच रखलेगा , निश्चित मानिये कि उसके अन्दर का साहित्यकार मर चुका है | मेरे आदरणीय गुरु जी बराबर कहते है कि " वो आपका सच्चा हितैषी है जो आपकी लेखन कि गलतियों को बताता है"
आज भी ओ बी ओ पर आपको मेरे बारे में नकारात्मक टिप्पणी पढ़ने को मिल जाएगी, जब कि मैं यदि चाहता तो उन टिप्पणियों को हटा सकता था, किन्तु नहीं , और भी कोई पढेंगे तो वो उन गलतियों को नहीं दोहराएंगे, जिन को मैं किया करता था |
क्षमाप्रार्थी हूँ...
मैं आपका आशय नहीं समझ पायी...
आप बात केवल और केवल "ओ बी ओ" की कर रहे हैं और मैंने अंतरजाल में जहाँ कहीं भी (ब्लॉग पर) लिखा जा रहा है,उसके बारे में बात करने लगी....
निवेदन है कि पूर्व में कही मेरी समस्त टिप्पणियों को स्थगित किया जाय...
"ओ बी ओ" पर लिखित सामग्रियों/टिप्पणियों के सन्दर्भ में मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगी...
आदरणीया रंजना जी, क्षमा प्रार्थी वाली कोई बात नहीं है , चर्चा होना एक शुभ लक्षण है, चर्चा होने से बहुत सारी बाते स्वत : स्पष्ट हो जाती है |
ओ बी ओ पर आपके विचारों का सदैव स्वागत है |
सही कहा भाई अरुणजी आपने..
वस्तुतः, किसी लेखक या रचनाकार की झूठी बड़ाई उसकी साहित्यिक मौत को न्यौता है.
धन्यवाद रंजनाजी. एक अर्से बाद सकारात्मक चर्चा की गुंजाइश लिये हुये कोई प्रतिक्रिया आयी है. साधु.
//स्तरीय लेखन पाठक जुटा ही लेता है,समय भले थोडा लग सकता है...
हम पूरा ध्यान यदि गुणवत्ता पर रखें तो परिणाम में पाठक संख्या अपने आप बड़ी हुई मिल जायेगी.. //
उपरोक्त बात सोरहोआने सच है. किन्तु जिस दिशा और दशा को लेकर गणेशभाई ने तथ्य प्रस्तुत किये हैं वह रचनाकारों/रचनाकर्मियों के उत्साहवर्द्धन को इंगित करते हैं. यदि रचना साधुवाद की हकदार है तो रचनाकर्मी लाभान्वित हो ताकि उसका प्रयास द्विगुणित हो, सुधार-प्रक्रिया बहुगुणित हो. यदि सुधार की गुंजाइश है तो रचनाकार को इसकी जानकारी मिले.
मैं आपकी प्रतिक्रिया से बहुत प्रभावित हुआ हूँ. पुनश्च धन्यवाद.
//यह कैसे पता चलेगा कि "लेखन सार्थक और सकरात्मक है" क्या हम खुद ही निर्णय ले ले ? यह तो उचित नहीं है//
बहुत सही गणेशभाई.
यदि हमही मुद्दा, हमही मुद्दई... वाह.. तब क़ानून और नियम कैसे होंगे कहना न होगा.
और ऐसे विचार को ही धार कर कई लेखक/रचनाकार आत्ममुग्धता के शिकार बन इतने अहंकारी हो जाते हैं कि उन्हें उचित सुझाव देना ’आ बैल मुझे मार’ को चरितार्थ करना हो जाता है.
समर्थन हेतु आभार इमरान भाई, आपका सदैव स्वागत है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |