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रमेश कुमार चौहान's Discussions (806)

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"आदरणीय रवि प्रभाकर जी से मुझे व्यक्तिगत रुप से बहुत कुछ सीखने को मिला मैं उनके आकस्म…"

रमेश कुमार चौहान replied May 23, 2021 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"ओ बी ओ परिवार के सभी सम्मानित विद्वतजनों को इस फोरम की एकादश वर्षगांठ पर हार्दिक शुभ…"

रमेश कुमार चौहान replied Apr 1, 2021 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"हार्दिक आभार, मान्यवर"

रमेश कुमार चौहान replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"आदरणीय श्रीवास्तजी, आपका सुझाव स्वागतेय है, सादर आभार"

रमेश कुमार चौहान replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"आपके अवलोकन हेतु सादर आभार"

रमेश कुमार चौहान replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"जी छांदिक विधान देना भूल गया हूॅ, आगे इस बात का ध्यान रखूंगा, सादर धन्यवाद"

रमेश कुमार चौहान replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"/त्रिभंगी छंद/ जागृत परमात्मा, जग की आत्मा, ज्योति रूप में, रचे बसे ।अंतरिक्ष शासक,…"

रमेश कुमार चौहान replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"इन शब्दों को शब्दकोश से लेकर उपयोग करने का प्रयास किया हूं आदरणिया दीदीजी -(ठीवन-थूक…"

रमेश कुमार चौहान replied Dec 10, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-74

765 Dec 11, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"//द्वितीय प्रस्तुति// सेठों को देखा नही,हमने किसी कतार में फुदक-फुदक कर यहां-वहां…"

रमेश कुमार चौहान replied Dec 10, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-74

765 Dec 11, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"पंक्ति एक जीवन है साथी पंक्ति एक जीवन है ।दीन-हीन पंक्ति का कैदी, धरती का ठीवन है ।।…"

रमेश कुमार चौहान replied Dec 9, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-74

765 Dec 11, 2016
Reply by Saurabh Pandey

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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
19 minutes ago
Sushil Sarna commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत सुंदर यथार्थवादी सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई सर"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
13 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
15 hours ago

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गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
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