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"आशियाने को नहीं मिलती है शाख़ फिर रहे हैं चोंच में तिनके लिए । बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"घर से लौटा दे ज़रूरत मंद को यह कहाँ मुमकिन है मुहसिन के लिए । बाप है रोगी वसीयत मेज़…"

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मौज  है  घुसपैठियों  की देश मेंऔर दुर्दिन खूब साकिन के लिए बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"लोग तो शामिल शहर की भीड़ मेंफूल जंगल में खिले किन के लिए बहुत बढ़िया आदरणीय सागर सर "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" बहुत  सुन्दर श्रद्धा सुमन आदरणीय "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय सतविन्द्र जी  गैर को ही लूटना आदत रहीसोचता है वो भला किन के लिए यह…"

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जब से बुलबुल तूने दो तिनके लियेटूटती है बिजलियाँ इनके लिये आदरणीय अमीर मीनाई साहब क…"

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"एक से बढ़कर एक शेर आदरणीय सौरभ सर इतने सारे  काफिया ..... !!!!! आप ही ढूंढ सकते हैं "

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" बहुत ही शानदार ग़ज़ल बहुत 2 बधाई आदरणीय  मुल्क के गद्दार से हो रस्मो राहये कहां ज़ेबा…"

vandana replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
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