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"अब खुलके उगलते हैं वो ज़ह्र फ़िज़ाओं में क्यों एक क़यामत की है गंध हवाओं में   है शि…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"उस दौर की बातें क्या अब कोई बताएगा जो बात बताते अब मिलती है कथाओं में  अच्छी प्रस्त…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"सादर नमन आपके लेखन को आदरणीय वीनस जी "

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"अजदाद के किस्सों में ऋषियों की ऋचाओं में हर सम्त तुझे पाया , ज़र्रों में हवाओं में  …"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"जीना तो तेरे दम पर मरना तो तेरी खातिर मिलते हैं मेरे जैसे किरदार कथाओं में   बादल भी…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"शानदार ग़ज़ल आदरणीय अरुण सर सादर नमन आपकी लेखनी को "

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"जब रात पिघलती है सुनसान फिजाओं में आवाज कसकती है ख़ामोश सदाओं में  हरकत ही बताती है व…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"हर शख़्स पशेमाँ है हर आँख में पानी हैहोता है यही हासिल हर बार ग़ज़ाओं में होंठों पे तबस…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"  जो आज बदल सकते पामाल निज़ामत को वो लोग छिपे बैठे.... ख़ामोश गुफाओं में ।   मत ढूंढ ज…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

"जब भी न असर दिखता दुनिया की दवाओं में मन ढूँढने लगता है दादी को खलाओं में   बारूद कह…"

vandana replied Dec 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 54

597 Dec 27, 2014
Reply by शिज्जु "शकूर"

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