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Aazi Tamaam's Discussions (465)

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"सादर प्रणाम आदरणीय तश्दीक़ जी मिलन पर बंदिशे......... खूबसूरत शैर है अच्छी ग़ज़ल ह…"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"सादर प्रणाम आदरणीय सालिक जी किया छलनी मेरा सीना..... बेहद खूबसूरत शैर है अच्छी ग़ज़…"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"सादर प्रणाम आदरणीय निलेश जी उठे आवाज़ तो हाकिम नया..... बेहतरीन शैर है सहृदय धन्यवाद"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"सादर प्रणाम आदरणीय अमीर जी बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई है सहृदय धन्यवाद इक अच्छे शैर "स…"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"मुआफ़ी चाहूँगा एक 1222 ग़लती से ज्यादा लिख गया है"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"1222 1222 1222 1222 1222 ज़माने का "तमाम आज़ी" करम ऐसा भी होता है हवा देता है नफ़रत…"

Aazi Tamaam replied Mar 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-129

330 Mar 27, 2021
Reply by Samar kabeer

"नग़मा: ये मन मेरा ये मन मेरा, न जाने क्यों हसीन ज़िंदगी के ख़्वाब देखा करता है संभा…"

Aazi Tamaam replied Mar 14, 2021 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-125

17 Mar 14, 2021
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"आदरणीय dandpani nahak ji दिल से शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिये आभार स्वीकार करें"

Aazi Tamaam replied Feb 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-128

375 Feb 26, 2021
Reply by नादिर ख़ान

"माफ़ कीजियेगा गुरु जी नियम ध्यान में नहीं था आगे से ऐसा नहीं होगा"

Aazi Tamaam replied Feb 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-128

375 Feb 26, 2021
Reply by नादिर ख़ान

"सादर प्रणाम आदरणीय जान जी ग़ज़ल तक आने और हौसला बड़ाने के लिये आभार कुबूल कीजिये"

Aazi Tamaam replied Feb 26, 2021 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-128

375 Feb 26, 2021
Reply by नादिर ख़ान

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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
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लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
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"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
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दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
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Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
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