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Manan Kumar singh's Discussions (1,904)

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"शुक्रिया।"

Manan Kumar singh replied Nov 23, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"आभार आदरणीय तसदीक जी।वैसे तो वहम अब भाषा में रच बस गया है,पर इस शब्द के मूल रूप पर क…"

Manan Kumar singh replied Nov 23, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"जी, "ऐसे" भी हो सकता है।"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"आदरणीय समर जी, वहम वाली उला को यूं कह सकते हैं: दिलासा को जहां में फिर पसारा जा रहा…"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत बहुत आभार आदरणीया।"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"देखता हूं किस शब्द से  वहम को विस्थापित कर सकता हूं।"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"आदरणीय समर जी,आपका शुक्रिया।टंकण की विचलन है 'भल',जो मूलतः 'भली'(अच्छी) हैं।शेष आपकी…"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"शुक्रिया दोस्त।"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"सुना हमने, हकीकत को संवारा जा रहा है लगा ऐसा,गगन को ही उतारा जा रहा है।1 दिलों की ब…"

Manan Kumar singh replied Nov 22, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

157 Nov 23, 2019
Reply by Samar kabeer

"आभार आदरणीया।"

Manan Kumar singh replied Oct 31, 2019 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)

100 Nov 1, 2019
Reply by योगराज प्रभाकर

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"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
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