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"बहुत२ आभार आदरणीया डॉ. साहिबा गुणीजनों का समर्थन मिल जाए रचना को तो उत्साह बढ़ता है "

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"बहुत २ शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी आपकी इस खूबसूरत प्रशंसा के लिए हृदय से आभार "

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय गणेश सर आपका समर्थन पाकर बहुत ख़ुशी हुई बहुत२ धन्यवाद आपका "

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"बांटना जबसे ग़मों को सीखा है हर नये गम से ख़ुशी होने लगी  गम सिखाते हैं ख़ुशी का रास्ता…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"रख दिए कागज़ में सारे ज़ख्म जब सूख के वो शायरी होने लगी   फूल तितली चिड़िया बेटी के बि…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"जब मुहब्बत रौशनी होने लगीकम दिलों की तारिकी होने लगी /   याद आई इक अधूरी जुस्तजू,खुद…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"मात्र एक शेर नहीं आदरणीय ग़ज़ल पूरी ही अच्छी है उस वक़्त कुछ जल्दी में यह बात नहीं लिख…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"बादलों ने ख़त समुन्दर के पढ़े , बाढ़ से व्याकुल नदी होने लगी | सब गवाही से मुकर जाने ल…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"अक्स उनका यूँ निगाहों में बसा रूह खुद से अजनबी होने लगी /4/   जब उठी आवाज़ हक की माँग…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"हर नफ़स में बंदगी होने लगी सूफियाना ज़िंदगी होने लगी बेवजह बेचैन दिल रहने लगा लाडली…"

vandana replied Feb 27, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
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