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नादिर ख़ान's Discussions (1,565)

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"शोख़ उनकी नज़र जहाँ जायेशोरे महशर वहाँ से उठता है /हुस्न फिर इश्क़ को परखता हैजूं हि वह…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरनीय दिनेश भाई मतले के शेर से अखिरी शेर तक लाजवाब गज़ल हुयी है। बधाई स्वीकरें "

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय शिज्जु साहब बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने, गिरह का शेर भी लाजवाब है। खूबसूरत ग़ज़लगोई…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मरने वाले को आदमी समझें ये अक़ीदा जहाँ से उठता है। .. सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय ग…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय समर साहब आपकी शायरी पढ़कर तो हम जैसे लोग सीखने की कोशिश करते है । आपकी कलम के…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"छोड़ जाता है मालोजर अपनाआदमी जब जहाँ से उठता हैकोई पूछे तो हम बतायें उसे"ये धुआँ सा…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय मिथिलेश जी शानदार ग़ज़ल से आपने मुशायरे का आगाज़ किया बहुत बहुत मुबारकबाद आपको .…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दर्द इतना कहाँ  से उठता है ये समझ लो की जाँ से उठता है   सबसे आँखें चुरा रहा था मै ग…"

नादिर ख़ान replied Jan 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-67

742 Jan 23, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"लघु कथा के सन्दर्भ में उत्तम जानकारी हम  सब से साझा करने के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय…"

नादिर ख़ान replied Jan 11, 2016 to लघुकथा में कालखंड दोष

28 Feb 8, 2016
Reply by योगराज प्रभाकर

सदस्य कार्यकारिणी

"आदरणीय मिथिलेश जी सक्रियता  के साथ आपने महा उत्सव का शानदार ढंग से संचालन किया बहुत…"

नादिर ख़ान replied Jan 11, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-63 की संकलित समस्त रचनाएँ

16 Jan 21, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
13 hours ago

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