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आप जैसे कथा-शिल्पी की बधाई बहुत अमूल्य है ,तेजवीर जी। रचना पढ़ने और हौसला बढ़ाने के लिए आपने कीमती समय निकाला , आभार स्वीकारें।
मेरी रचना की इस उदार सराहना के लिए आभारी हूँ , उस्मानी जी। आह से वाह तक का सफर आपने तय किया , मुझे लेखन सफल हुआ प्रतीत हुआ। बेहद शुक्रिया आपका।
मेरी रचना की इस उदार सराहना के लिए आभारी हूँ , उस्मानी जी। आह से वाह तक का सफर आपने तय किया , मुझे लेखन सफल हुआ प्रतीत हुआ। बेहद शुक्रिया आपका।
दिल पे तो जोर है नहीं ,पहली नज़र के प्यार व्यार में मज़हब भी नहीं देखा जाता ,,प्रेम में सरोबार सुन्दर कथा ,बधाई आदरणीय प्रदीप नील जी
बहुत-बहुत शुक्रिया ,प्रतिभा जी। कथा का मर्म समझ मेरा उत्साहवर्द्धन किया आपने। विनम्र आभार।
सत्कर्म खाली नही जाते सबमें अच्छाई को रोपित करते हैं, सहज सरल व सरस कथा आदरणीय
एक साथ तीन विशेषण ( सहज सरल व सरस ) पा कर मुदित हूँ , राजेन्द्र जी। इधर आकर मेरा मान बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार।
लघुकथा बेहद खूबसूरत हुई है आ० प्रदीप नील जीI धीमी धीमी गति से आगे बढती हुई इस रचना का प्रवाह बहुत ही प्रभावशाली बना हैI हालाकि दुपट्टा लेकर इस्त्री करने तक के विवरण को थोडा और चुस्त किया जा सकता थाI किन्तु रचना प्रदत्त विषय के साथ पूर्ण न्याय कर रही है, जिस हेतु मेरी दिली मुबारकबाद कबूल करेंI
रचना पर आपकी अमूल्य टिप्पणी ने पाव भर खून बढ़ाया है ,प्रभाकर जी। आपकी बात बिलकुल सही है कि इस हिस्से को थोड़ा चुस्त किया जा सकता था।
अपने अमूल्य समय से कुछ समय निकाल आपने मेरा मान बढ़ाया , कृपया हार्दिक धन्यवाद स्वीकारें।
वाह वाह वाह ............ आदरणीय प्रदीप जी, मुग्ध कर दिया आपने. शानदार लघुकथा. लघुकथा का प्रवाह बस बहा ले गया. इस प्रस्तुति के लिए बधाई और हार्दिक धन्यवाद भी. सादर
मिथिलेश जी , आप जैसे कद्दावर साहित्यकार का रचना पर उपस्थित होना ही मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। और आपने तो मुक्त-कंठ से प्रशंसा करके मुझे ऋणी ही बना दिया। बेहद शुक्रिया आपका।
आदरणीय प्रदीप जी, मेरे कथन के मुखर अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार.सादर
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