आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आ.उस्मानी जी रचना के मर्म को समझते हुए आई आपकी उत्साह्वर्धक टिप्पणी के लिए आभार आपका.आपका सद्भाव हमेशा बना रहे
आ.नीता जी ह्रदयतल से आभार आपका
आ.समर जी बहूत-बहूत शुक्रिया
काश इंसानियत जाग जाए । बधाई आदरणीया नयना जी ।
धन्यवाद सखी
आ.कांता जी आभार आपका किंतू यह कहकर शर्मिंदा ना करे कि आपने मेरी रचना से कुछ सीखा. मै तो अभी पहली पयदान पर ही हूँ
तमाशा देखता तथाकथित पूर्ण इंसानों की भीड़ के बीच एक अपूर्ण इन्सान की सम्पूर्ण इंसानियत मन को छू गयी.
आ.रीता जी आभार आपका
Wah bahut hi samvedna se bhari katha aur tamashbin
badhai AArti ji
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