आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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//हर एक पंक्ति यहाँ पर' षड्यंत्र ' में पगी है.//
हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभाजी.
// महिलाओं को लेकर पुरुष के अहम् का वर्णन लाजवाब ढंग से हुआ है //
ऐसा कुछ भाव इस कथानक में दशमांश मात्र होगा आदरणीया. जबकि असली मुद्दा सिस्टम को ठीक करने के लिए उठाये गये कदम को लेकर है, जहाँ झूठ और छल के बल पर ’बिजनेस टार्जेट’ ’अचीव’ करते हुए स्टेट हेड्स और सभी संलग्न डिपार्टमेण्ट-हेड्स उससे मिल रहे ’लाभों’ पर गुलछर्रे उड़ा रहे हैं. यह अवश्य है, कि ऐसे कुछ के विरोध में एक महिला ऐक्शन ले रही है तो ऐसे टुच्चों का पुरुष अहं भी चीत्कार कर उठा है.
आपकी गहन पाठकीयता के लिए सादर धन्यवाद ..
वाह ! अप्रतिम लघुकथा है ये आपकी आदरणीय सौरभ जी . आपने फिर से चकित किया है हम सबको . लघुकथा में आपकी भाषाई बांकपन ने चुस्त रचनात्मकता की मिशाल कायम की है . कोर्पोरेट क्षेत्र ही क्यों , आज लगभग सभी क्षेत्रों में ऐसी स्थिति बन रही है जहां छल ,प्रपंच ,पाखंड एवं लिजलिजी सोच मुखरता से सामने आती दिखाई देती है .शत -शत अभिनन्दन आपको इस सार्थक लघुकथा के लिए .सादर
आपसे मिला अनुमोदन आश्वस्तिकारी है आदरणीया कान्ताजी. सादर धन्यवाद. आपके संवेदनशील पाठक को प्रस्तुति रुचिकर लगी, लेखन सफल हो गया.
//लघुकथा में आपकी भाषाई बांकपन ने चुस्त रचनात्मकता की मिशाल कायम की है //
लघुकथा में आपके भाषाई बांकपन ने चुस्त रचनात्मकता की मिसाल कायम किया है.
सादर
तू डाल डाल, मैं पात पात, बड़े बड़े घाघ हैं इन कॉर्पोरेट हाउसेस में| बड़े रोचक तरीके से बयान किया है आपने यहाँ घटने वाले तमाम छल| बधाई आपको इस विषयानुकूल रचना के लिए
आदरणीय विनय कुमार जी, आपसे मिला अनुमोदन मात्र पाठक ही नहीं, एक सफल लघुकथाकर से मिला अनुमोदन है. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय
:-))
हार्दिक धन्यवाद, आ० सुनीलजी।
आ० योगराजभाई जी, क्या संकलन के समय पात्रों के संवादों में आये अंग्रैजी के छिटपुट शब्दों या वाक्यांशों का अनुवाद दे देना उचित होगा ? क्या उन शब्दों या वाक्यांशो की वैधानिक मौज़ूदग़ी ऐसी अहम प्रतीत हो रही है, कि कथा के कथ्य को समझने में दिक्कत हो रही है ?
वस्तुतः मैं वातावरण निर्माण के क्रम में संवाद के शब्दों का इस्तेमाल कर रहा था. क्या यह उचित प्रयोग नहीं है ?
वैसे संवाद की भाषा होनी तो पात्रों के अनुसार ही चाहिए, और आपने भी कोरपोरेट जगत से सम्बंधित पात्रों से अंग्रेजी भाषा बुलवाई है जो बिलकुल भी गलत नहीं हैI फिर भी संवादों में अंग्रेजी का प्रयोग थोडा कम हो जाए तो पढने वालों को "एलियननेस" से काफी राहत मिलेगीI
आदरणीय योगराज भाईजी, कृपया आप यह भी बतायेंगे किन-किन जगहों पर अंग्रेज़ी के ऐसे शब्दों या वाक्यांशों से कथानक का प्रवाह बाधित होता प्रतीत हो रहा है ? ताकि मैं भी समझूँ कि वह कौन सा आयाम है जो मुझे देखे नहीं दिख रहा है. या हमने अंग्रेज़ी या हिन्दी से इतर (??) किसी भी शब्द के प्रति ’एलियननेस’ का मन बना लिया है ? और हुज़ूर यह एलियननेस क्या बला है ? क्या आपकी सलाह एक बयान अधिक नहीं है आदरणीय ?
:-))
यदि आप एक पाठक की संजीदा सलाह को बयान बताकार उपहास उड़ाएंगे, तो मुझे इसके आगे और कुछ नहीं कहना हैI
मैं खूब समझ गया आदरणीय. मैं तो यहाँ तथ्यात्मकता की सोच बैठा था. सादर धन्यवाद.
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