आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आभार आदरनीय !
सार्थक और सुंदर कथा हेतु बधाई आदरणीय सुधीर जी ।
/अपनी दाई भंव उचका कर ,कनखियों से युवक की ओर देख ,अब वे मुस्कुरा दिए ।/ षडयंत्र को सार्थकता से परिभाषित करती लघुकथा की इस पंक्ित से सारी लघुकथा का सार स्वयंमेव ही बोल उठता है। बधाई अनुज
आपका स्नेह , मन में उल्लास भर देता है .. और जब आप अनुज कहते है तो सिर खुद-ब-खुद नत हो जाता है ..नमन सर
आदरणीय सुधीर जी बहुत सुंदर पञ्च लाइन. बधाई लघुकथा के लिए.
आभार आदरणीय
आभार आ. जानकी जी .. भाई सम्बोधन मुझे अतिशय प्रिय है .. पुनः आभार यह स्थान देने हेतु ..
वाह षडयंत्र का तोड़ भी एक षड्यंत्र से ... बधाई भैया शानदार कथा पर
हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर जी! बेहतरीन प्रस्तुति!
आभार आदरणीय
सेम २ यू दीदी
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