आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरनीय सुशिल सरना जी बहुत ही बढ़िया विषय उठाया है.इस हेतु बधाई आप को. यदि आप चाहते तो लघुकथा में आप ने ८- १० दिन का उपयोग फ्लेशबैक तकनीक से कर के लघुकथा के कालदोष को दूर कर सकते थे . सादर.,
आदरणीय ओम प्रकाश जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का दिल से आभार। आपके सुझावों का हार्दिक आभार। गुणीजनों के सुझाव सृजन को नयी राह से अवगत कराते हैं । हार्दिक आभार।
आदरणीया नीता कौसर जी प्रस्तुति की संवेदनशीलता को मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीया shashi bansal जी प्रस्तुति की संवेदनशीलता को मान देने का हार्दिक आभार।
मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुंदर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय Tasdiq Ahmed Khan जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का दिल से आभार
विश्यान्तार्गत संवेदनशील और मार्मिक रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुशील जी, गुरुजनों और वरिष्ठजनों के सुझावों को संज्ञान में लेकर रचना सुधार के बाद उत्कृष्ट हो सकती है| सादर,
आदरणीय Chandresh Kumar Chhatlani जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का दिल से आभार
अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीय सुशील जी। हार्दिक बधाई, सादर!
आदरणीय Mahendra Kumar जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का दिल से आभार
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