आदरणीय साथिओ,
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बहुत बढ़िया लघु कथा ! प्रिय सीमा
मायके सुख जीने का अपना अलग मजा है । वहाँ हर चीज जैसे हमे किसी और लोक मे ले जाती है और हम उन पलों को पूरा जी लेना चाहते है । बहुत बढ़िया ।
एक मुकम्मिल लघुकथा कही है सीमा सिंह जी, पढ़कर मन प्रफुल्लित हुआ. ज़मीन के एक खाली टुकड़े पर मायके की तलाश का यह ख्याल कमाल का है. यह एक ऐसी रचना है जिसे पढ़कर आह और वाह दिल से निकलना स्वाभाविक है. ऐसी सशक्त रचना से आयोजन का प्रारंभ होना निश्चित ही एक शुभ संकेत है. इस बेहतरीन लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
इस भावना को सलाम है सीमा जी, गुरबाणी में भी यही लिखा है:
"मेरा मुझ में कुछ नहीं - जो कुछ है सो तेरा"
वाह, बहुत ही भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाली रचना प्रदत्त विषय पर| बहुत बहुत बधाई इस शानदार लघुकथा के लिए
बेटी का लगाव मायके के प्रति कभी नहीं छूटता | कहना सुंदर लगी आदरणीया सीमा सिंह जी
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