आदरणीय साथिओ,
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आपकी इस मुक्तकंठ प्रशंसा से मेरा उत्साहवर्धन हुआ भाई वीर मेहता जी, हार्दिक आभार स्वीकार करें.
आदरणीय लघुकथा के माध्यम से इस तरह एक अनकहे दर्द को महसूस करना और काग़ज़ पर उकेरना ये आपके बस की ही बात है। बहुत बहुत बधाइयाँ स्वीकार करें।
हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया आ० मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीक़ी साहिब.
आपको यह शैली और लघुकथा पसंद आई, यह जानकार परम संतोष का अनुभव हुआ. रचना के अनुमोदन एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सुनील वर्मा जी.
मुझ नहीं लगता कि इस लघुकथा में कहीं भी उलझने वाली बात थी भाई सुनील जी, मुझे आपकी यह बात पढ़कर सच में बहुत ताज्जुब हुआ.
eक सवाल कई दिनों से मन में तैर रहा था की पत्र के माध्यम से लघुकथा लिखी जा सकती है या नही आज इसका जवाब मिल गया . बहुत ही संजीदा विषय को लेकर लिखी गयी उत्तम कथा | धर्म और जाति के नाम पर ये जो माहौल बनता जा रहा है उसको काफी बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है आपके इस खत के माध्यम से नमन
आपकी जिज्ञासा इस लघुकथा को पढ़कर शांत हुई यह मेरे लिए बेहद प्रसन्नता का विषय है, रचना पसंदीदगी हेतु हार्दिक आभार स्वीकारें आ० सुनीता अग्रवाल नेह जी.
रचना के माध्यम से एक और कक्षा हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय योगराज जी सर| एक कश्मीरी मुसलमान, जिसका परिवार देशभक्त रहा है, के दर्द को बखूबी उभारा है| सम्प्रदाय के नाम पर मानवीयता से दूर चले जाने पर भी गहरा तंज है| अनकहा ऐसा भी हो सकता है कि ख़त लिखा और पोस्ट नहीं किया, सोचा भी नहीं जा सकता था| सादर नमन सर आपको|
आप जैसे लघुकथा मर्मग्य की टिप्पणी मेरे लिए बहुत मायने रखती है भाई चंद्रेश कुमार जी. आपको मेरा प्रयास पसंद आया, इसके लिए दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ.
आदरणीय सर
जब से इस कथा को पढ़ी है कुछ सवाल मन में उठ रहें हैं कल भी पूछना चाह रही थी पर डर था कहीं कुछ गलत न पूछ लूं , पर खुद को रोक नहीं पा रही हूँ जिसके लिए मुझे क्षमा करें
सर इस कथा में आपने एक नौजवान की व्यथा को उजागर किया है , कहीं न कहीं यह आभास हो रहा है इस कथा के पीछे कोई बात है जो आपके भीतर कहीं कुछ छुपी हुई है , जाने क्यों लग रहा है इस कथा को लिखने के पीछे कोई उद्देश्य है आपका | क्या आप मेरी इस उत्सुकता को एक राह दिखायेंगे ?
और दूसरा प्रश्न यह है , इस कथा को नार्मल कथा के रूप में भी लिखा जा सकता था फिर इस तरह से पत्र के द्वारा लिखने का कोई विशेष कारण ? इसमें कोई शक नहीं यह शैली अद्भुत है , पर ......
सर कृपया प्रकाश डालेंगे इस कथा पर ?
सादर |
हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।बेहतरीन प्रस्तुति। आज लघुकथा का एक नया कलेवर देखने को मिला।एक नयी राह मिली।सादर।
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