For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-31 (विषय: फ़रिश्ते)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 30 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-31
विषय: "फ़रिश्ते"
अवधि : 30-10-2017 से 31-10-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12511

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

रचना के मर्म तक की गंभीरता तक जाकर अनुमोदन व प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी।

नया विषय , बहुत बढ़िया आदरणीय शहजाद भाई | हार्दिक बधाई |

यूं प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कल्पना भट्ट जी।

सबसे पहले तो इस विषय को चुनने की बधाई शहजाद भाई! आज समाज में दो टीमें बन गई हैं एक इंटरनेट पक्ष में और दूसरी विपक्ष में.और दोनों ही एक दूसरे से असहमत. जबकि सच ये है कि जन्नत और दोजख दोनों ही हमारे दिमाग की उपज हैं, इंटरनेट या किसी और की नहीं. एक विचारणीय मुद्दे पर कथा कहने की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

रचना पर उपस्थित हो कर अपने विचारों से अवगत कराने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया सीमा सिंह जी। अपरिपक्व भारतीय पीढ़ी, दिमाग़ की उपज के अलावा, इस मायाजाल में बड़ी होशियारी से दिग्भ्रमित भी की जा रही है षड़यंत्र पूर्वक। न चाहते हुए भी अनर्गल सामग्री की ओर विभिन्न तरीकों से धकेला जा रहा है।

सही कहा आपने सिर्फ इंटरनेट ही क्यों सभी स्थान पर यह बात लागू होती है,  रामचरित मानस में तुलसी दासजी ने कहां भी है,"सकल पदारथ हैं जग माहीं, करमहीन नर पावत नहीं." इस कथन को आज के परिपेक्ष में देखें तो  अच्छा और बुरा दोनों ही तरह का मार्ग है सामने ,चुनना तो हमें है. आपकी कथा अच्छी है इसके लिए पुनः बधाई.

आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, प्रदत्त विषय को आपने अपनी लघुकथा में बहुत ही अच्छे से ढंग से उठाया है. इस हेतु मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आपका शीर्षक चयन उत्कृष्ट है. साथ ही, मुहावरों का भी आपने बहुत अच्छे ढंग से प्रयोग किया है सिवाय उस एक के जिसकी चर्चा आ. योगराज सर ने की है. "जन्नत" और "दोज़ख़" के सन्दर्भ में भी मैं उनसे सहमत हूँ.  

//"यह पीढ़ी तो मोबाइलों और लेपटॉप्स पर ऐसे भिड़ी रहती है, जैसे कि जन्नत की सैर कर रही हो!"// 

एक बार पुनः इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

रचना पर समय देकर मार्गदर्शन कराने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार जी।
जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब। आप सभी हज़रात की टिप्पणियों से ही लेखन संभव हो रहा है सीखने के अनुक्रम में।
बेहतरीन लघुकथा हुई है आद0 जी , हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
रचना पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा शशि बंसल साहिबा। आप सभी की अमूल्य टिप्पणियों से ही लेखन संभव हो रहा है सीखने के अनुक्रम में।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर अभिवादन! आपकी इस ग़ज़ल पर मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई प्रेषित है. सिर्फ़ दो…"
8 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
9 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
9 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
11 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service